MP-CG Election: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए कई तरह के वादे किए हैं। दोनों पार्टियों ने अपने मैनिफेस्टो में गेहूं और धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर ‘बोनस’ का ऐलान किया है। लेकिन जब दोनों पार्टियों में से कोई एक राज्य की सत्ता पर काबिज होगी तो उसके लिए किए वादे को जमीन पर उतारना आसान नहीं होगा। उसके कई तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा। आइए जानते हैं क्या हो सकती है अड़चन और इसका समाधान कैसे निकलेगा।
जानिए क्या आ सकती बाधा
सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए अपनी आवश्यकता से अधिक ऐसे राज्यों से कोई अतिरिक्त अनाज नहीं लेगा। खाद्य मंत्रालय और राज्यों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MOU) के अनुसार, यदि कोई राज्य एमएसपी के ऊपर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में वित्तीय प्रोत्साहन (बोनस) देता है और यदि राज्य की कुल खरीद इससे अधिक होती है, तो पीडीएस के तहत सरकार की ओर से किया गया कुल आवंटन, ऐसी अतिरिक्त मात्रा को ‘केंद्रीय पूल’ से बाहर माना जाएगा। भारतीय खाद्य निगम (FCI) खाद्यान्न के केंद्रीय पूल का रखरखाव करता है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों अधिशेष राज्य हैं, जिसका अर्थ है कि वे पीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत अपनी जरूरतों से अधिक खरीद करते हैं।
ऐसे निकल सकता है समाधान-
अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकारों ने अतीत में केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई पीएम किसान जैसी योजनाओं में बोनस को बदलने के लिए केंद्र से संकेत लिया है। अधिकारियों ने कहा कि राज्य किसानों को भूमि जोत के आधार पर अप्रत्यक्ष वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने का विकल्प चुन सकते हैं जैसा कि ओडिशा में ‘कालिया’ और तेलंगाना में ‘रायथु बंधु’ जैसी योजनाओं के तहत किया जा रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि मतदाताओं और किसानों के लिए पार्टियां आसानी से समझ में आने के लिए बोनस की घोषणा करती हैं, जबकि कार्यान्वयन के लिए वे एक योजना लेकर आती हैं।
भाजपा ने मध्य प्रदेश में 2,800 रुपये प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीद की घोषणा की है, जिसमें 2,125 रुपए की एमएसपी भी शामिल है। धान के लिए भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी मौजूदा एमएसपी 2,183 रुपए के मुकाबले 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर खाद्यान्न खरीदने का वादा किया है। इसी तरह कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 3,000 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीद का वादा किया है। केंद्र के एमएसपी संचालन के तहत धान और गेहूं की खरीद में दो चुनावी राज्यों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।