चुनाव आयोग कभी भी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान कर सकते हैं। इन सभी राज्यों में सियासी दलों ने काफी पहले से ही अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी अब तक उम्मीदवारों की कई लिस्ट जारी कर चुकी है, जिनमें कई दिग्गज नेताओं को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है। मध्य प्रदेश में लंबे समय से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। साल 2003 से (2018 चुनाव के बाद कुछ समय छोड़कर) अभी तक यहां पर बीजेपी की ही सरकार है। एमपी में बीजेपी की बादशाहत बरकरार रखने के लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में ले ली है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है लेकिन उसे उम्मीद है कि वो 2018 से अच्छा प्रदर्शन करेगी और राज्य में अकेले दम पर सरकार बनाएगी। 2018 में कांग्रेस पार्टी बहुमत से थोड़ा पीछे रह गई थी, इसके बाद उसने बीएसपी, सपा और निर्दलीयों की मदद से राज्य में बीजेपी का 15 सालों से चला आ रहा शासन खत्म कर दिया था। हालांकि करीब एक साल बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 विधायकों की बगावत के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज के हाथों में दोबारा एमपी की कमान आ गई।

राज्य में इस समय जबरदस्त सियासी घमासान चल रहा है। एमपी चुनाव में जिस भी पार्टी को जीत मिलेगी, 2024 लोकसभा चुनाव में भी उसका पलड़ा भारी रहने की संभावना है। आइए नजर डालते हैं राज्य में हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों पर और विभिन्न दलों के प्रदर्शन पर….

बीजेपी 2003 से एमपी की सत्ता में है। शिवराज सिंह चौहान 2005 से राज्य के सीएम हैं। वे बाबू लाल गौर के बाद राज्य के सीएम बने। 2008 में बीजेपी फिर से सत्ता में आई लेकिन उसे थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद साल 2013 में बीजेपी का ग्राफ बढ़ा और उसकी सीटें बढ़ गईं। गौर करने वाली बात यह रही कि कांग्रेस का वोट शेयर 2013 में बढ़ा लेकिन उसकी सीटें घट गईं।

इसके बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला हुआ। कांग्रेस ने सीटों के मामले में बीजेपी को पछाड़ दिया लेकिन उसे बहुमत नहीं मिला। 1998 के बाद यह पहली बार था कि बीजेपी एमपी में कोई विधानसभा चुनाव हारी थी। हालांकि सिंधिया की मदद से वह 2020 में कोरोना काल में वापसी करने में सफल रही।

2003 विधानसभा चुनाव

छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बाद बीजेपी ने 2003 में एमपी चुनाव जीतकर दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन का अंत किया। बीजेपी ने 230 सीटों पर चुनाव लड़ा और 173 सीटें जीतीं। उमा भारती राज्य की सीएम बनीं। एमपी में इस चुनाव में कांग्रेस ने 38, सपा ने 7 और बसपा ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की। आदिवासियों की पार्टी के रूप में पहचानी जाने वाली गोडवाना गणतंत्र पार्टी ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की। राज्य में दलितों के लिए रिजर्व 34 सीटों में से 30 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस ने 3 और सपा ने 1 सीटें जीतीं। 41 आदिवासी सीटों में से बीजेपी को 37 पर सफलता मिली जबकि कांग्रेस और जीजीपी को 2 सीटें ही नसीब हुईं।

2008 में बीजेपी को नुकसान लेकिन पाया बहुमत

2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान जरूर हुआ लेकिन राज्य की जनता ने उसे पूर्ण बहुमत दिया। बीजेपी को 30 सीटों को नुकसान हुआ जबकि कांग्रेस पार्टी ने 33 सीटें ज्यादा जीतीं। शिवराज चौहान फिर से राज्य के सीएम बने। इस चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी ने 228 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने यहां 143, कांग्रेस ने 71, बसपा को 7 और सपा को 1 सीट पर जीत हासिल हुई।

ये चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उमा भारती ने बीजेपी से बगावत कर अपनी पार्टी बीजेएसपी बनाई और चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सिर्फ 4.7 फीसदी वोट मिले। 2011 में उमा भारती ने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया। 2008 में बीजेपी ने 35 में से 25 SC सीटों पर जीत दर्ज की जबकि कांग्रेस को 9 सीटें मिलीं। इसी तरह 47 ST सीटों पर बीजेपी को 29 पर जीत हासिल हुई जबकि कांग्रेस ने 17 पर परचम लहराया। इस चुनाव में हार के बाद दिग्विजय सिंह ने ऐलान किया कि वो अगले एक दशक तक चुनाव नहीं लड़ेंगे।

2013 में शिवराज को मिला बिग बूस्ट

2013 चुनाव में बीजेपी ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में लौटी। बीजेपी ने राज्य में 165 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस को 58 और बीएसपी को 4 सीटें मिलीं। इस बार राज्य में सपा का खाता नहीं खुला। राज्य में बीजेपी ने 28 SC और 31 ST रिजर्व सीटों पर जीत दर्ज की। गौर करने वाली बात यह है कि इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 5 फीसदी बढ़ा लेकिन उसकी 13 सीटें घट गईं।

2018 में कांग्रेस ने चौंकाया लेकिन नहीं मिला बहुमत

राज्य में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन उसे बहुमत नहीं मिला। चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर भी बढ़ा। इस चुनाव में SC रिजर्व सीटों में बीजेपी को 18 और कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली। बात अगर ST सीटों की करें तो बीजेपी को 16 सीटों से संतोष करने पड़ा जबकि कांग्रेस ने 30 सीटें जीतीं। चुनाव के बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनाई। हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि अगले ही साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक दिखाई दिया और बीजेपी ने राज्य की 29 सीटों में से 28 पर जीत दर्ज की।