Madhya Pradesh congress Candidate Kamal Nath: मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री रह चुके कमलनाथ भारत के सबसे लंबे समय तक सेवारत लोकसभा सदस्यों में से एक हैं। कांग्रेस नेता कमलनाथ मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है और 9 बार इसी क्षेत्र से लोकसभा में जीत दर्ज कर चुके हैं।

पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में 18 नवंबर 1946 में हुआ। उनकी स्कूली शिक्षा दून स्कूल से हुई। उन्‍होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सेंट जेवियर कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान वे दून स्कूल में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के साथ भी रहे। कमल नाथ की शादी अलका नाथ से 27 जनवरी 1973 को हुई और उनके दो बेटे हैं।

कमल नाथ ने 1980 में रखा राजनीति में कदम

कमल नाथ ने राजनीति में कदम 1980 में रखा जब इंदिरा गांधी ने उन्‍हें लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए छिंदवाड़ा भेजा। साल 1979 में कमल नाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबला करने में कांग्रेस की मदद की थी। कमल नाथ 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए। उन्हें 16वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर चुना गया। वह लगातार 1985, 1989 और 1991 में लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें यूनियन काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स में जगह मिली। उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।

2018 में कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्‍यमंत्री चुना गया

कमल नाथ 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए। कमल नाथ 1998 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए। वह 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे। 2004 में वे फिर 14वीं लोकसभा का चुनाव जीते और 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।

2009 में कमल नाथ 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए और कैबिनेट मंत्री बनाए। इस बार उन्‍हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। 2011 में उन्हें शहरी विकास मंत्री बनाया गया। 2012 में उन्‍हें संसदीय कार्य मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जीतीं और कमलनाथ को मुख्‍यमंत्री चुना गया।

कमल नाथ के बारे में रोचक तथ्य

2006 में कमल नाथ को सार्वजनिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जबलपुर की रानी दुर्गवती विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी गई। कमलनाथ को एफडीआई पत्रिका ने 2007 के एफडीआई व्यक्तित्व से सम्मानित किया। 2008 में उन्हें इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा ‘बिजनेस रिफार्मर ऑफ द ईयर’ टाइटल से सम्मानित किया गया था। सितंबर 2011 में, उन्हें भारत में सबसे अमीर कैबिनेट मंत्री घोषित किया गया था। उनके पास 2.73 अरब रुपये की संपत्ति थी।

कमल नाथ से जुड़े विवाद

2007 में वाणिज्य मंत्री के रूप में कमल नाथ के कार्यकाल के दौरान मंत्रियों के एक उच्चाधिकार प्राप्त समूह जिसमें वह, प्रणब मुखर्जी और शरद पवार शामिल थे ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने में मदद की। यह आरोप लगाया गया कि अफ्रीका में इस चावल के निर्यात में शामिल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने घरेलू निजी कंपनियों को आउटसोर्स किया।