राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों के चुनाव के बीच मिजोरम को लेकर कोई भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। लेकिन एग्जिट पोल के जो अनुमान सामने आ रहे हैं, उसमें तो साफ दिखता है कि एक ऐसी पार्टी बड़ा कमाल कर सकती है जिसे बने ही कुछ साल हुए हैं और जिसने आंदोलन के सहारे अपनी सियासत शुरू की थी।
मिजोरम में सबसे बड़ा उलटफेर?
यहां बात हो रही है Zoram People’s Movement (ZPM) की जिसे लेकर कई एग्जिट पोल्स ने ऐसे दावे कर दिए हैं कि दो सबसे पुरानी पार्टियां MNF और कांग्रेस की नींद उड़ गई है। असल में सबसे चौंकाने वाले अनुमान एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल के रहे हैं जहां पर 40 में से ZPM को 28 से 35 सीटें दी गई हैं। वहीं कई बार सत्ता में आ चुकी MNF इस बार 3 से 7 सीटों पर सिमटती दिख रही है। वहीं वापसी की दम लगाने वाली कांग्रेस का आंकड़ा तो शायद दो से चार सीटों पर सिमट सकता है।
बड़ी बात ये है कि पिछले चुनाव में मिजोरम में एमएनएफ को 38 फीसदी वोट मिला था और उसने लंबे समय से राज कर रही कांग्रेस की सरकार को हटाया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में ZPM को 8 सीटें हासिल हुई थी और राज्य में दूसरे नंबर पर रही थी। इसी समय से ZPM को राज्य में काफी लोकप्रियता मिली और अब वो सरकार बनाने के भी बेहद करीब मानी जा रही है।
कैसे हुई ZPM की शुरुआत?
कई लोगों को ये जान हैरानी होगी कि ZPM कोई पहली राजनीति पार्टी नहीं थी, बल्कि 2018 के चुनाव से पहले 6 अलग-अलग दलों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। बाद में इन 6 दलों ने ही खुद को एक संयुक्त पार्टी घोषित कर दिया और मिजोरम की राजनीति में ZPM का उदय हुआ। जानकार शुरुआत से मान रहे थे कि इस बार के चुनाव में MNF को सबसे कड़ी टक्कर ZPM से ही मिलने वाली है। ये पार्टी शहरी इलाकों में काफी मजबूत मानी जाती है, इस बार विस्तार के उदेश्य के साथ इसने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अगर राज्य में ZPM की सरकार बनती है तो एक पूर्व IPS अधिकारी Lalduhoma को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।