भारक के पूर्वोत्तर का राज्य मिजोरम कई सालों तक कांग्रेस का एक बड़ा गढ़ रहा है। वहां पर लाल थनहवला कीअगुवाई में कांग्रेस ने कई बार सरकार बनाई है। लेकिन साल 2018 का मिजोरम चुनाव कई मायनों में खास रहा और राज्य का ट्रेंड बदलने वाला भी साबित हुआ। असल में उस चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट यानी कि एमएनफ ने कांग्रेस को उखाड़ फेंका और वो सरकार बनाने में कामयाब हो गई।
अब उस चुनाव में एमएनफ ने तो सरकार बनाई ही, इसके साथ-साथ बीजेपी को भी पहली बार एक सीट मिली थी। पिछले चुनाव में MNF ने 40 में से 26 सीटें जीती थीं, वहीं कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर सिमट गई थी। बीजेपी की बात करें तो उसे एक सीट मिली थी। इस बार भी बीजेपी की स्थिति तो कुछ खास नहीं बदली है, लेकिन मिजोरम की जनता को एक तीसरा विकल्प जरूर मिला है।
जानकार मानते हैं कि इस राज्य में ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट के लालदुहोमा ने चुनाव को काफी दिलचस्प बना दिया है। पिछली बार भी आठ सीटें जीतकर कांग्रेस को तो पछाड़ दिया था, इस बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ सत्ता में आने की पूरी कवायद की जा रही है। बीजेपी ने अभी तक किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है, लेकिन उसका मानना है कि जरूरत पड़ने पर एमएनफ और ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट से बात की जा सकती है।
वर्तमान में मिजोरम के सीएम 79 साल के ज़ोरमथंगा हैं जो एक बार फिर चौथी बार सीएम बनने की कोशिश में हैं। उन्हें इस बार कांग्रेस से तो चुनौती मिल ही रही है, साथ में लालदुहोमा ने भी राह को मुश्किल बनाने का काम कर दिया है। इसी वजह से इस बार का मिजोरम चुनाव त्रिकोणीय माना जा रहा है। मुकाबला कांग्रेस, एमएनफ और ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट के बीच रहने वाला है। बीजेपी की कोशिश खुद को इस राज्य में और ज्यादा मजबूत करने की है, वो किंगमेकर की भूमिका में भी आना चाहती है।