MNF Candidate Zoramthanga: उत्तर पश्चिमी राज्य मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों के लिए कल मतदान होगा। एमएनएफ के नेता और मौजूदा सीएम जोरमथांगा आईजोल पूर्व-1 सीट से चुनावी मैदान में हैं। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र आइजोल पूर्व-I से रिकॉर्ड सातवीं बार फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।जोरमथांगा से मुकाबले में जोरम पीपुल्स मूवमेंट के उपाध्यक्ष लालथानसांगा हैं। हाल ही में सीएम जोरमथांगा ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनाव के लिए जब मिजोरम प्रचार करने यहां आएंगे तो वह उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे।
जोरमथांगा ने कहा था कि मिजोरम के ज्यादातर लोग इसाई हैं। जब मणिपुर के लोगों (मैतियों) ने मणिपुर में सैकड़ों चर्च जलाए, तो इस तरह बात के पूरी तरह से खिलाफ थे। ऐसे में इस समय भाजपा के साथ सहानुभूति रखना हमारी पार्टी के लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री अकेले आएं और वे अपना मंच संभालें करें और मैं दूसरा मंच संभालूं।
मिजोरम की राजनीति का जाना-माना नाम जोरमथंगा
मिजोरम की राजनीति में जोरमथंगा एक जाना-माना नाम हैं। 13 जुलाई 1944 को जन्मे जोरमथंगा मिजोरम के मुख्यमंत्री के पद पर हैं। उनकी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट 2008 के चुनावों में कांग्रेस से चुनाव हार गई थी। 2018 में जोरमथंगा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। जोरमथांगा एक उग्रवादी नेता थे।
1987 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मिजो उग्रवादी नेता लालडेंगा के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया और मिजोरम को एक राज्य बनाया गया तब जोरमथांगा ने हथियार छोड़ राजनीति का रुख किया। कॉलेज में रहते हुए जोरमथांगा मिजो आंदोलन की ओर आकर्षित हुए थे। 1990 में अपने गुरु लालडेंगा की मौत के बाद वह एमएनएफ के अध्यक्ष बने। एमएनएफ़ तब तक एक उग्रवादी संगठन से राजनीतिक दल में बदल गया था।
2018 के चुनाव में MNF को मिली थी जीत
जोरमथंगा छह बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए और तीन बार (1998-2008 और 2018-2023) मुख्यमंत्री रहे। ज़ोरमथंगा राजनीति में उतरते ही अपने पहले ही चुनाव में चंफई से पहली बार विधायक बने। साल 2018 में मिजोरम विधानसभा के चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को बहुमत मिला था। एमएनएफ को पिछली बार 27 सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस 4, बीजेपी 1 और अन्य 8 सीटों पर जीते थे। जोराम पीपुल्स मूवमेंट आठ सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।