सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला और मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने गुरुवार (16 फरवरी) को थउबल विधानसभा सीट से नामजदगी का पर्चा दाखिल किया। पहली बार चुनाव लड़ रहीं शर्मिला ने पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलाइंस (पीआरजेए) की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया वहीं इबोबी सिंह ने कांग्रेस की तरफ से नामांकन पत्र भरा। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है। शर्मिला ने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी। वह अपने समर्थकों के साथ साइकिल पर इंफाल से 20 किलोमीटर की दूरी तय करके थाउबल पहुंची।
पीआरजेए वैकल्पिक राजनीति के जरिये सूबे में प्रभाव कायम करने की कोशिश में जुटी है। वर्ष 2002, 2007 और 2012 में जीत हासिल करने वाले मणिपुर के तीन बार के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की निगाहें चौथी बार जीत हासिल करने पर होगी। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है। चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
राज्य की राजनीति में हावी आर्थिक नाकेबंदी का मुद्दा
मणिुपर में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले आर्थिक नाकेबंदी का मुद्दा राज्य की राजनीति में हावी दिख रहा है क्योंकि सभी राजनीतिक दल इसका इस्तेमाल प्रमुख मुद्दे के रूप में करने की कोशिश कर रहे हैं। मणिपुर की जीवन रेखा कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग दो और राष्ट्रीय राजमार्ग 37 को अवरुद्ध किये जाने पर राज्य में संकट की स्थिति पैदा हो जाती है और इस बार भी इसके कारण नोटबंदी, भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर जैसे अन्य मुद्दे पीछे छूट गए हैं। आर्थिक नाकेबंदी ने राज्य के पर्वतीय और मैदानी इलाकों के बीच एक स्पष्ट रेखा-सी खींच दी है।
राज्य में सात नए जिले बनाये जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ युनाइटेड नगा कौंसिल (यूएनसी) ने एक नवंबर, 2016 से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत की थी। राज्य सरकार ने हालांकि दावा किया कि प्रशासनिक क्षमता में इजाफा के परिप्रेक्ष्य में यह फैसला लिया गया। सत्तारूढ़ कांग्रेस का हालांकि आरोप है कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा नाकेबंदी जारी रखने के लिए यूएनसी को उकसा रही है और राज्य के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। भाजपा अपने जवाबी हमले में लगातार यह कहती रही है कि ओकराम इबोबी सिंह की सरकार ने घाटी के इलाकों में राजनीतिक लाभ हासिल करने के उद्देश्य से जिलों का बंटवारा किया।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के एच जयकिशन ने बताया, ‘भाजपा गुप्त रूप से नाकेबंदी का समर्थन कर रही है और यूएनसी के साथ उसकी मिलीभगत है। हम जब भी यूएनसी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की कोशिश करते हैं तो वे समस्या पैदा कर देते हैं।’ राज्य में आर्थिक नाकेबंदी के कारण ईंधन समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत पैदा हो गयी है और उनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। राज्य भाजपा इकाई के अध्यक्ष के बी सिंह ने कहा, ‘करीब 15 वर्ष तक सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और वे यह जानते हैं कि यह चुनाव वे हार रहे हैं।’