मुलायम सिंह यादव के प्रभाव वाली मैनपुरी संसदीय सीट एक ऐसी संसदीय सीट मानी जाती है जिस पर भाजपा की सारी की सारी कोशिशें अब तक पूरी तरह से निरर्थक रही हैं। इस संसदीय सीट पर लंबे समय से समाजवाद का झंडा फहरा रहा है। 1996 से आठ बार हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी लगातार यह सीट जीतती आ रही है। लोकसभा चुनाव 2014 में तो नरेंद्र मोदी की आंधी चल रही थी फिर भी मुलायम ने शानदार जीत हासिल की। 2014 में मुलायम सिंह तीन लाख 64 हजार 666 मतों से जीते थे। मुलायम सिंह ने 5,95,918 वोट हासिल किए थे, वहीं भाजपा के शत्रुघ्न सिंह को 2,31,252 वोट मिले थे।
2009 के ससंदीय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने भी इस पर कब्जे का मंसूबा बनाया। पूर्व रक्षा मंत्री को इस चुनाव में 3,92,308 वोट मिले थे वहीं बसपा ने विनय शाक्य को यहां से लड़ाया था, जिन्हें 2,19,239 वोट प्राप्त हुए थे। मुलायम सिंह ने 2004 में इस सीट पर चुनाव लड़ा था और फिर यह सीट छोड़ दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने उस समय 4,60,47 वोट हासिल किए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,22,600 वोट मिले लेकिन उन्होंने यह सीट छोड़ी और अपने भतीजे धर्मेद्र यादव को लड़ाया। धर्मेंद्र ने जब चुनाव लड़ा तब वे सैफई के ब्लाक प्रमुख होते थे धर्मेंद्र यादव को 3,48,999 वोट हासिल हुए और बसपा के अशोक शाक्य को 1,69,286 वोट मिले।
भाजपा ने उपदेश के जरिए दी थी टक्कर 1996 में इस सीट पर मुलायम ने जब चुनाव लड़ा तो उन्हें यहां कड़ी टक्कर मिली। भाजपा के उपदेश सिंह चौहान को मुलायम सिंह यादव ने करीब 50 हजार वोटों से हराया। मैनपुरी के किशनी, करहल, कुरावली और कुसमुरा जैसे यादवों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र से उन्होंने मुलायम सिंह यादव को पीछे छोड़ दिया था लेकिन, उस समय जसराना का क्षेत्र मैनपुरी लोकसभा में शामिल था, जिसने मुलायम सिंह कोे जीत दिलाई । मुलायम सिंह को इस चुनाव में 2,73,303 वोट मिले जबकि भाजपा के उपदेश को 2,21,345 वोट प्राप्त हुए।
मैनपुरी में हैं पांच विधानसभा
मैनपुरी लोकसभा सीट जिन पांच विधानसभा क्षेत्रों को मिलकर बनी है उनमें इटावा जनपद का सबसे महत्त्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर भी शामिल है, जो सपा का अभेद गढ़ ही नहीं माना जाता, बल्कि इसी विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रमुख मुलायम सिंह पैतृक गांंव सैफई भी आता है।
यादव मतदाताओं का है बोलबाला
मैनपुरी लोकसभा सीट यादव बाहुल्य है, जहां दूसरे पायदान पर शाक्य व दलित वर्ग के मतदाता हैं। इसके बाद राजपूत जाति के वोटर इस सीट के लिए निर्णायक रहे हैं। अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या भी लगभग ढाई लाख से कम नहीं है।
सपा यहां परंपरागत वोटरों के अलावा मुस्लिम और ओबीसी के समर्थन पर सियासत की जमीन पर खड़ी है। मैनपुरी, करहल, भौगांव, किशनी, जसवंतनगर विधानसभाओं को मिलाकर बनी इस ससंदीय सीट पर लोकसभा चुनाव काफी अहम रहेगा।
मैनपुरी के सांसद
1952 बादशाह गुप्ता, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1957 बंसीदास धनगर, सोशलिस्ट पार्टी
1962 बादशाह गुप्ता, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1967 महाराज सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1971 महाराज सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1977 रघुनाथ सिंह वर्मा, भारतीय लोक दल
1980 रघुनाथ सिंह वर्मा, जनता पार्टी सेकुलर
1984 बलराम सिंह यादव, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1989 उदय प्रताप सिंह, जनता दल
1991 उदय प्रताप सिंह, जनता पार्टी
1996 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी<br />
1998 बलराम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
1999 बलराम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
2004 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
2004 धर्मेंद्र यादव, समाजवादी पार्टी
2009 मुलायम सिंह यादव,समाजवादी पार्टी
2014 मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी
2014 तेज प्रताप सिंह यादव, समाजवादी पार्टी