मध्य प्रदेश में बीजेपी की आंधी चली है, एक ऐसी सुनामी आई है जिसमें सारी समीकरण, सारे दावे, कांग्रेस के सारे दांव हवा हवाई साबित हुए हैं। इस चुनाव में बीजेपी की सीटों का आंकड़ा 150 पार चल रहा है, कांग्रेस अपना सबसे खराब प्रदर्शन करती दिख रही है। अब कांग्रेस की हार के कई कारण माने जा रहे हैं, शिवराज का चेहरा और लाड़ली योजना जरूर गेमचेंजर रही है, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस बदली फितरत ने भी पार्टी नैया डुबोई है।

मध्य प्रदेश के चुनाव में कमलनाथ की रणनीति ऐसी थी जहां पर बीजेपी की पिच पर उसे हराने की पूरी तैयारी दिखी। इसी वजह से पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व पर पूरा जोर दिया, बल्कि उसे हार्ड हिंदुत्व भी कहा जा सकता है। इस चुनाव में कांग्रेस का जो घोषणा पत्र रहा उसमें गायों और मंदिर विकास पर खास जोर दिया गया है। कुछ तो ऐसे वादे भी रहे जो 2018 के चुनाव के दौरान भी किए गए थे।

इस चुनाव में कमलनाथ की रणनीति के तहत नंदिनी गोधन योजना शुरू करने की बात हुई थी। इस योजना के तहत राज्य सरकार दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने वाली थी। इसी तरह 1000 गौशालाएं फिर शुरू करने का वादा, गो ग्रास अनुदान बढ़ाने की बात भी कांग्रेस ने की थी। इससे मन नहीं भरा तो मंदिक पॉलिटिक्स भी कांग्रेस पूरी तरह खेली और चुनावी मौसम में राम वन गमन पथ को जल्द पूरा करने का ऐलान किया गया था। पार्टी ने श्रीलंका में माता सीता का मंदिर बनाने बात भी की और महंत-पुजारियों के लिए बीमा का ऐलान भी हुआ। इसके साथ-साथ चित्रकूट में निषादराज की प्रतिमा लगवाने की बात भी कांग्रेस ने ही कही।

अब कांग्रेस ने ये सब तो किया, लेकिन अपने सेकुलर चेहरे को कहीं बहुत पीछे छोड़ दिया। जो कांग्रेस किसी जमाने में मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व का भी पूरा ध्यान रखती थी, इस बार उसने तुष्टीकरण के डर से उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। इसी वजह से एमपी में सात फीसदी मुसलमान रहे, 25 सीटों पर उनकी भूमिका निर्णायक मानी गई, लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारा। ये बताने के लिए काफी है कि कांग्रेस पर भी हिंदुत्व का नेरेटिव हावी था। लेकिन चुनावी नतीजे बता रहे हैं कि बात जब हिंदुत्व की आती है, कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी पर जनता भरोसा करती है।

वैसे हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने कई धर्मगुरू और कथा वाचरों के कार्यक्रम करवाने का काम किया। खुद कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम की बैठकी करवाई, महू में कांग्रेस के जीतू ठाकुर ने भी जया किशोरी को एक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन नतीजे स्पष्ट बता रहे हैं कि कांग्रेस का ये बदला हुआ अंदाज जनता ने नकार दिया है। विचारधारा में बदलाव करना कांग्रेस को भारी पड़ा है, अपने सेकुलर चोले को भी धूमिल करना कुछ नुकसान पहुंचा गया है। वहीं दूसरी तरफ अगर बीजेपी की बात करें तो जनता के लिए वो पहले से ही एक हिंदूवादी पार्टी है, ऐसी पार्टी जो खुलकर स्टैंड भी लेती है और अपनी विचारधारा को लेकर एकमद स्पष्ट रहती है।

इसी वजह से जब-जब एमपी चुनाव में बीजेपी ने राम मंदिर का जिक्र किया, जनता ने ज्यादा कनेक्ट किया, जब-जब बीजेपी ने गायों का जिक्र किया, जनता ने भरोसा जताया। यानी कि हिंदुत्व की पिच पर अभी के लिए बीजेपी को हराना काफी मुश्किल है और अगर कांग्रेस ऐसे ही आगे भी कॉपी कैट वाली रणनीति पर आगे बढ़ती रही तो कई दूसरे राज्यों में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।