मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर बीजेपी की तैयारियां तेज हो चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भागीदारी भी इस चुनाव में काफी अहम मानी जा रही है। चंबल ग्वालियर क्षेत्र में तो उनकी सक्रियता बीजेपी के लिए जरूरी है ही, इसके साथ-साथ उनका चेहरा पूरे राज्य में भी पार्टी के लिए एक एक्स फैक्टर साबित हो सकता है। अब सिंधिया की नजरों से एमपी के चुनावी माहौल को समझने की कोशिश की गई है। इंडियन एक्सप्रेस ने उनका एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया है जिसमें हर सवाल का बेबाक जवाब मिला है।

दो दशक की सत्ता विरोधी लहर से बीजेपी कैसे पार पाएगी?

मैं साफ कहना चाहता हूं कि एमपी में बीजेपी के खिलाफ कोई भी सत्ता विरोधी लहर नहीं है। जिस सरकार ने पिछले 18 सालों में अपनी अहमियत साबित की है, जिसमें राज्य से बीमारू स्टेट वाला तमगा छीना है, जिस पार्टी ने इसे बेमिसाल प्रदेश बनाकर दिखा दिया है, वहां कैसी सत्ता विरोधी लहर। पर कैपिटा इनकम जो 2003 में 11,410 रहती थी, अब बढ़कर 1,40,062 रुपये हो चुकी है। सड़कों का जाल जो पहले 44000 किलोमीटर तक था, अब बढ़कर 5 लाख को भी पार कर गया है। यहां की जनता तो विकास के एजेंडे पर आगे बढ़ना चाहती है, उन्हें डबल इंजन की सरकार चाहिए।

ग्लालियर चंबल में चौहान के खिलाफ गुस्सा ना भी दिखे, बदलाव की बात होती रहती है?

मैं तो मानता हूं कि शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 15 सालों में शानदार काम किया है। मैं ऊपर जो उपलब्धियां गिनवाई हैं, वो भी इसी कड़ी में जोड़ा जा सकता है।

आप सिर्फ ग्लालियर तक सीमित रहेंगे, या पूरे राज्य में प्रचार?

मैं हर उस जगह जाऊंगा जहां पार्टी मेरे से प्रचार चाहेगी। 2018 में भी मैंने पूरे ही राज्य का दौरा किया था।

बीजेपी की लोकल यूनिट आपसे नाराज लगती है?

मैं तो खुद को पार्टी का एक आम कार्यकर्ता ही मानता हूं। मेरी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत भी ये आम कार्यकर्ता ही है।

इतन सांसदों को बीजेपी इस बार टिकट दे रही है, क्या आप भी चुनाव लड़ेंगे?

ऐसे काल्पनिक सवालों का जवाब मैं देना पसंद नहीं करता हूं।

एक तरफ रेवड़ी कल्चर की बुराई और दूसरी तरफ लाडली बहना योजना?

आपको सशक्तिकरण और रेवड़ी में अंतर समझना होगा। कई महिलाओं के पास इनकम का कोई साधन नहीं है। क्या उन्हें सशक्त करना जरूरी नहीं है? अब उन्हें हर महीने के 1250 रुपये मिलते हैं, एक गरीब किसान को 1000 रुपये मिलते हैं। ये तो पीएम मोदी का विजन है, हर भारतीय देश के विकास में अपना योगदान दे, ये जरूरी है।

बीजेपी में आकर कैसा लगता है?

बीजेपी तो मेरा परिवार है। मैं तो बढ़ा भी बीजेपी के बीच ही हुआ हूं। मेरी दादी बीजेपी की शुरुआती सदस्यों में से एक थीं। मेरे पिता ने अपना करियर बीजेपी से शुरू किया था। मैं जब कांग्रेस में भी था, कई बीजेपी नेताओं से मेरे अच्छे रिश्ते रहे। बीजेपी हमेशा से एक घर की तरह रहा है।