मध्य प्रदेश के धार शहर के मतदाताओं की राय इस बात पर बंटी हुई है कि भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद विवाद के मुद्दे का 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के समीकरणों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। कुछ मतदाताओं का मानना है कि इस मुद्दे का एक राजनीतिक पक्ष को फायदा होगा वहीं कुछ का कहना है कि रोजगार, रेल परियोजनाएं और अन्य मुद्दे चुनाव का रुख तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुसलिम समुदाय 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर एएसआइ द्वारा संरक्षित है। धार लोकसभा क्षेत्र आदिवासी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है जहां कुल 19.47 लाख मतदाता हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने निवर्तमान सांसद छतर सिंह दरबार का टिकट काटकर पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने राधेश्याम मुवेल को उम्मीदवार बनाया है।
धार शहर की निवासी अंजू मित्तल ने शनिवार को कहा कि हमारे लिए भोजशाला का मामला कोई चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विषय है। हम अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मसले की तरह भोजशाला विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, भले ही यह समाधान किसी भी पक्ष के हक में हो। धार के एक अन्य निवासी अजहर खान ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भोजशाला का मुद्दा लोकसभा चुनावों का परिणाम तय करने में निर्णायक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि हम केवल धार का विकास चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे शहर में आपसी भाईचारा बना रहे। बहरहाल खान की राय से स्थानीय दुकानदार नुरू कुरैशी इत्तेफाक नहीं रखते। कुरैशी भोजशाला विवाद को चुनावी मुद्दा मानते हैं और उनका दावा है कि इससे एक राजनीतिक पक्ष को चुनावी फायदा मिलेगा।
‘मास्टर आफ सोशल वर्क’ की उपाधि हासिल करने वाले दुकानदार ने कहा कि धार के कई पढ़े-लिखे युवाओं के पास रोजगार नहीं है। धार के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के कारखानों के कर्मचारियों में उत्तरप्रदेश, बिहार और अन्य सूबों के लोगों की तादाद ज्यादा है, जबकि स्थानीय युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। गृहस्थी संभालने के साथ ही परिवार के कारोबार में मदद करने वाली अर्चना बंसल ने कहा कि उनकी नजर में धार में प्रस्तावित रेल परियोजनाएं सबसे महत्त्वपूर्ण चुनावी मुद्दा है क्योंकि इनसे क्षेत्र का विकास होगा।