चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग मशीन से जुड़ी प्रक्रिया में दो गलतियां होने की बात स्वीकारी है। हालांकि आयोग ने जोर देकर कहा कि यह चूक प्रक्रिया के स्तर पर ही हुई है, मशीनों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हुई। सबसे ज्यादा हंगामा बिना नंबर की एक गाड़ी में ईवीएम ले जाने को लेकर हुआ। सागर जिले में मतदान के 48 घंटे बाद बिना नंबर प्लेट की एक स्कूल बस ईवीएम लेकर सागर जिला कलेक्टर के दफ्तर पहुंची। कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने आरोप लगाया, “इसका मकसद जाहिर था कि इन मशीनों को कलेक्टर के कार्यालय में जमा कराना। इन अतिरिक्त ईवीएमों को चुनाव के दो घंटे बाद जमा कराना था न कि दो दिन बाद। ऐसा खुरई सीट पर हुआ है जहां से राज्य के गृह मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं।”
चुनाव आयोग ने कहा है कि यह मशीनें बैकअप के लिए रिजर्व रखी गई थीं। शनिवार को आयोग ने बताया कि खुरई वाले मामले में एक व्यक्ति को निलंबित किया गया है। एक बयान में ईसी ने कहा, “मशीनों संग किसी तरह की टैंपरिंग नहीं हुई है। मशीनें जमा कराने में देरी के जिम्मेदार नायब तहसीलदार राजेश मेहरा को सस्पेंड कर दिया गया है।”
इसके अलावा शाजापुर में चार अधिकारियों के ईवीएम के साथ होटल में मिलने को भी चुनाव आयोग ने गलत माना है। कई कांग्रेस नेताओं ने इस बाबत ट्वीट किया था जिसके बाद दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के कार्यालय से बयान जारी किया गया। मंगलवार (27 नवंबर) को बीजेपी समर्थक से जुड़े होटल में चार चुनाव अधिकारियों ने चेक-इन किया था। आयोग ने इसे नियम-विरुद्ध बताया पर यह भी कहा कि मशीनें सही-सलामत पाई गईं। बयान में कहा गया, ”इन मशीनों का इस्तेमाल अगले दिन होने वाले मतदान में नहीं हुआ।”
चुनाव आयोग के मैनुअल के अनुसार, इस्तेमाल न हुईं मशीनों को अलग रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, ऐसी मशीनों को ‘मतदान के अगले दिन ही’ इकट्ठा कर लिया जाना चाहिए। खुरई में मशीनें 48 घंटों से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद जमा कराई गईं। ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस ने शनिवार को निर्वाचन आयोग का रुख किया और मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में मतगणना के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष नतीजे सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने की मांग की।