राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की शैक्षणिक स्थिति को लेकर कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों को लेकर हुए एक अध्ययन में सामने आया कि विधानसभा चुनाव लड़ रहे 10 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ हस्ताक्षर करना आता है। वहीं अगर पंचायत चुनाव के पैमाने को लागू कर दिया जाए तो 19 प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे।

विधायक बनने के बाद भी पढ़ रहे हैं कुछ प्रत्याशी

दरअसल राजस्थान में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कम से कम आठवीं पास होना जरूरी है यानी विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे 19 प्रत्याशी आठवीं तक भी नहीं पढ़े हैं। कई प्रत्याशी ऐसे भी सामने आए हैं जिन्होंने विधायक बनने के बाद अलग-अलग राज्यों से दूरस्थ और ओपन स्कूल के जरिये पढ़ाई को आगे बढ़ाया है।

ये पांचवीं पास भी नहींः गुरदीप सिंह (संगरिया), ताराचंद (डूंगरपुर), प्रेम सिंह बाजौर (नीम का थाना), गोलमा देवी (सपोटरा), सांग सिंह भाटी (जैसलमेर) और जब्बर सिंह (आसींद)

ये आठवीं पास भी नहींः सूर्यकांता व्यास (सूरसागर), गौतम लाल (धरियावद), प्रताप पुरी (पोखरण), भंवराराम (मेड़ता), संदीप दायमा (तिजारा) और जोरा राम कुमावत (सुमेरपुर), मंगलाराम (डूंगरगढ़)

क्यों है साक्षरता का इतना अभाव?

अल्पशिक्षित प्रत्याशियों में से ज्यादातर ग्रामीण और जनजातीय इलाकों से हैं। ऐसे क्षेत्रों में पढ़ाई को लेकर उतनी जागरूकता नहीं होती। हालांकि धीरे-धीरे लोग शिक्षा को लेकर जागरूक हो रहे हैं। राजस्थान में 7 दिसंबर से चुनाव हैं और 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे। राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से भाजपा ने सभी 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों पर तीन अलग-अलग दलों से गठबंधन किया है।