Lok Sabha Election 2019: उत्तर प्रदेश का कैराना लोकसभा चुनाव के समय एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार भी वजह ‘पलायन’ ही है। लोकसभा चुनाव के दौरान काफी संख्या में यहां रहने वाले लोग अपने घर को छोड़ दूसरे जगह पर जा रहे हैं। घरों के बाहर ताले लटके पड़े हैं। गलियां सुनसान है। एएनआई के अनुसार, स्थानीय लोगों का कहना है कि कैराना के मल्ल समुदाय के लोग देश के अन्य हिस्सों में पलायन कर रहे हैं क्योंकि क्षेत्र में रोजगार के अवसर नहीं हैं, और कोई भी इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहा है। स्थानीय सांसद तबस्सुम हसन कहती हैं, “यहां पलायन कोई मुद्दा नहीं है। जब यहां रोजगार के अवसर ही नहीं हैं, तो लोगों को काम करने के लिए और बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाना होगा। आने वाले समय में हमारा ध्यान यहां रोजगार के अवसर पैदा करने पर होगा।”

उल्लेखनीय है कि कैराना में वर्ष 2018 में भाजपा के निवर्तमान सांसद हुकुम सिंह की मौत के बाद हुए उपचुनाव के दौरान महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर तबस्सुम हसन ने चुनाव लड़ा था और विजयी हुई थीं। उनके खिलाफ मैदान में हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उतारा गया था। इस बार भी महागठबंधन ने तबस्सुम के उपर विश्वास जताया है। हालांकि, 2019 का चुनाव वे रालोद के टिकट पर न लड़कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ रही हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह की जगह गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

पलायन के सहारे होती रही है सियासत: कैराना की सियासत दो धुरियों के आस-पास घुमती है। ये है हुकुम सिंह का परिवार और दूसरा मुनव्वर हसन का परिवार। यह इलाका मुस्लिम तथा जाट, गुर्जर बहुल इलाका है। यहां से मुनव्वर हसन भी सांसद रहे और 2014 के चुनाव में हुकुम सिंह ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। हुकुम सिंह ने मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन को हराया था। उस समय हुकुम सिंह ने यहां पलायन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था और कहा था कि मुसलमानों की वजह से यहां के लोग पलायन कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पलायन के सहारे उन्होंने हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की और एक हद तक वे इसमें कामयाब भी हुए थे। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना विधानसभा सीट से नाहिद हसन ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को पटखनी दे दी थी।