आंध्र प्रदेश की अरकु लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता वी किशोर चंद्र देव ने हाल ही में तेलुगू देशम पार्टी का दामन थाम लिया था। पार्टी ने उन्हें इस आरक्षित सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। जवाब में कांग्रेस ने उनकी बेटी वी श्रुति देवी को टिकट दिया है। YSR कांग्रेस पार्टी की ओर से शिक्षिका जी माधवी को उम्मीदवार बनाया गया है। वह पूर्व सीपीआई विधायक जी देमुदू की बेटी हैं जिनका अक्टूबर 2015 में निधन हो गया था। चंद्र देव छह बार सांसद रहे हैं और माधवी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।
46 वर्षीया श्रुति सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं और दो किताबें लिख चुकी हैं। उन्होंने फरवरी में अरकु से कांग्रेस टिकट पाने को आवेदन किया था। आंध्र प्रदेश की संसदीय कांग्रेस समिति सदस्य, श्रुति अपने पिता के लिए प्रचार करती रही हैं। वह कांग्रेस के नीति-निर्धारण और रणनीति बनाने वाली टीम का भी हिस्सा रही हैं। कांग्रेस छोड़ टीडीपी में जाने के पिता के फैसले पर श्रुति ने कहा, “कांग्रेस में कई युवा नेता काम संभाल रहे हैं और मेरे पिता जैसे कई वरिष्ठ नेता शायद खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे होंगे और इसलिए पार्टी छोड़ने का फैसला किया।”
श्रुति ने कहा कि वह चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। उन्होंने कहा, “मैं अपने पिता के साथ-साथ इस क्षेत्र को भी अच्छे से जानती हूं। सालों तक उनके प्रतिनिधि के रूप में अरकु में जमीनी स्तर में अधिकतर काम मैंने किया है। मैं करीब 22 सालों से क्षेत्र के आदिवासियों से संपर्क में रही हूं। मैं अपने पिता पर बड़े अंतर से जीत दर्ज करूंगी।”
72 साल के चंद्र देव ने 24 फरवरी को टीडीपी की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने कहा था कि अरकु की चुनावी लड़ाई को पारिवारिक झगड़े की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “श्रुति मेरी बेटी है पर हमें चुनाव में दो विभिन्न पार्टियों से लड़े उम्मीदवारों के रूप में अलग-अलग देखा जानपा चाहिए। वह बड़ी हो चुकी है और मुझपर निर्भर नहीं है। वह चुनाव लड़ना चाहती है तो यह उसका फैसला है। हम लोगों से मिलकर प्रचार करते रहेंगे।” देव ने दोहराया कि कांग्रेस में 42 साल गुजारने के बाद, उन्हें अब पार्टी में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था।
श्रुति की तरह पहली बार चुनाव लड़ रहीं 26 साल की YSRCP उम्मीदवार ने कहा कि वह राजनीति में नई नहीं हैं। माधवी ने बताया, “मेरे पिता 1994 और 2004 में चिंतापल्ली से विधायक रहे हैं। उन्होंने इस इलाके में आदिवासियों के कल्याण के लिए अनथक काम किया था और उनकी वजह से मैं वह समस्याएं अच्छे से जानती हूं जिनसे आदिवासी दो-चार होते हैं। मैं वो काम जारी रखना चाहती हूं जो मेरे पिता ने शुरू किया था।