Lok Sabha Poll 2019: देश में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इस बीच जेट एयरवेज संकट की वजह से उसके करीब 20 हजार कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर आफत आ पड़ी है। एयरवेज के कर्मचारियों ने संकट को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर मामले में दखल देने और कंपनी को संकट से उबारने की गुजारिश की है लेकिन पीएमओ की तरफ से कुछ ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। इससे कर्मचारियों में हताशा और निराशा है। मुंबई में इंटरनेशनल टर्मिनल पर जेट एयरवेज के चेक इन काउंटर पर पिछले 10 सालों से काम करने वाली टीना जॉन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “एयरलाइंस कर्मी हस्तक्षेप और बचाव के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से आग्रह कर रहे हैं। पर हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। हमने NOTA के लिए वोट करने का फैसला किया है या वोट नहीं देने का फैसला किया है।” टीना और उनके पति विशाल को अभी तक मार्च महीने की सैलरी नहीं मिली है। इससे वो परेशान हैं।

ग्राउंड ऑपरेशन के कर्मचारी अमीना शेख वोट डालने के लिए गोवा जाने वाली थीं थे लेकिन इन्होंने गोवा की यात्रा रद्द करने का फैसला किया है। अमीना शेख ने कहा, “मेरे कई सहयोगियों ने फैसला किया है कि वे वोट नहीं देंगे। हम ये बात फैला रहे हैं कि यदि राजनीतिक दल हमारी नौकरियों को बचाने की परवाह नहीं करते हैं, तो हमे भी उन्हें वोट क्यों देना चाहिए?” शेख ने अभी तक अपना किराया नहीं दिया है। वो कहती हैं, “कुछ दिनों में मेरे पास कहीं आने-जाने के लिए भी पैसे नहीं होंगे।”

बता दें कि बुधवार को एयरवेज प्रबंधन ने सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। कंपनी को उम्मीद थी कि बैंकों के साथ बैठक के बाद कंपनी को 983 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी लेकिन बैंकों ने इससे हाथ खींच लिया। इनमें करीब 230 करोड़ रुपये कर्मचारियों की सैलरी मद पर खर्च किया जाना था।

कंपनी के एचआर एग्जिक्यूटिव ने बताया कि पिछले अक्टूबर से अब तक करीब 2000 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी है। 14,500 बचे कर्मचारियों में से 1500 पायलट, 3000 केबिन क्रू मेंबर्स, 5000 ग्राउंड ऑपरेशन स्टाफ, 2000 टेक्निकल स्टाफ और करीब 3000 मैनेजमेंट ऑफिशियल्स हैं। अखिल भारतीय जेट एयरवेज अधिकारी और कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और विधायक किरण पावस्कर ने कहा कि न केवल कंपनी के कर्मचारी बल्कि कम से कम एक लाख लोग अपने घर चलाने के लिए जेट एयरवेज पर निर्भर हैं। उन्होंने भी पीएमओ से इस संकट का समाधान खोजने का अनुरोध किया है। उन्होंने पूछा कि नरेश गोयल द्वारा अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं ने 1,500 करोड़ रुपये की धनराशि क्यों नहीं दी है?