Lok Sabha Poll 2019: लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने और हर हाल में केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी को बेदखल करने के लिए कांग्रेस न केवल देशभर में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत कर रही है बल्कि दक्षिण से लेकर उत्तर तक कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों से गठबंधन भी कर रही है। इस बावत तीन दिन पहले ही कांग्रेस ने तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के साथ गठबंधन किया है। गठबंधन के मुताबिक राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से 9 पर कांग्रेस जबकि 30 पर डीएमके उम्मीदवार उतारेगी। डीएमके अपने कोटे से चार अन्य छोटे दलों को भी एक-एक सीट देने पर विचार कर रही है। पड़ोसी पुडुच्चेरी की एक मात्र संसदीय सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारेगी जबकि डीएमके उसे समर्थन देगी। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इस गठबंधन से दलित और अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण हो सकेगा, जबकि कुछ हद तक ओबीसी वोटों में बिखराव हो सकता है।

दक्षिण में साथी पुराने, सियासत नई: तमिलनाडु के अलावा कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी चुनावी गठबंधन किया है। इन दोनों राज्यों में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी से कांग्रेस का गठबंधन हुआ है। 2014 के चुनावों में टीडीपी ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कांग्रेस जनता दल सेक्यूलर के साथ पहले से ही गठबंधन सरकार में शामिल है। वहां भी पार्टी जेडीएस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। हालांकि, पिछले साल दोनों पार्टियों ने अलग-अलग होकर विधान सभा चुनाव लड़ा था और चुनाव बाद गठबंधन बनाया था। केरल में दो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद सीपीआईएम से भाजपा के खिलाफ होने वाले गठबंधन की संभावनाएं अब लगभग खत्म सी हो गई हैं। वहां पार्टी पहले के यूडीएफ गठबंधन के तहत ही चुनाव लड़ सकती है। इस फ्रंट में कांग्रेस के अलावा इंडियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (एम), केरल कांग्रेस (जैकब), रवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक शामिल है। केरल में लोकसभा की 20 सीटं हैं। 2014 में कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन ने 12 सीटें जीती थीं।

पवार संग जारी रहेगी दोस्ती:  महाराष्ट्र में कांग्रेस पुराने सहयोगी शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ ही फिर से चुनावी मैदान में उतर सकती है। हालांकि, अभी तक वहां सीटों के बंटवारे का एलान नहीं हुआ है लेकिन अनुमान है कि दोनों पार्टियां 2014 के फार्मूले के तहत ही चुनाव लड़ेंगी। राज्य में लोकसभा की 48 सीटें हैं। पिछली बार कांग्रेस ने 26 सीटों पर और एनसीपी ने 21 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। एक सीट पर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी लड़ी थी लेकिन कांग्रेस के खाते में 2 और एनसीपी के खाते में चार सीट ही आ सकी थी।

यूपी में नई जंग: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन से बाहर है और खुद तीसरा गठबंधन बना रही है। इसके लिए पार्टी ने केशव देव मौर्य की क्षेत्रीय पार्टी महान दल से गठबंधन किया है। इसके अलावा चर्चा है कि सपा से बगावत कर निकले शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस के संपर्क में है। सियासी खिचड़ी तो इसकी भी पक रही है कि मोदी सरकार में शामिल अपना दल भी कांग्रेस से गठबंधन कर सकता है। मोदी सरकार में मंत्री और अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल अपने पति और पार्टी के अध्यक्ष आशीष पटेल के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर चुके हैं। बता दें कि राज्य में 80 संसदीय सीटें हैं। फिलहाल दो सीटों (अमेठी और रायबरेली) पर ही कांग्रेस का कब्जा है। सपा-बसपा गठबंधन ने इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है।

बिहार-झारखंड में साथी पुराने: बिहार में कांग्रेस पहले से ही राजद के साथ गठबंधन में है। इस बार उनका गठबंधन बड़ा स्वरूप ले रहा है। इसमें कांग्रेस और राजद के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, शरद यादव का लोकतांत्रिक जनता दल, जीतनराम मांझी की हम, मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के अलावा लेफ्ट भी शामिल है। झारखंड में भी कांग्रेस झामुमो के साथ गठबंधन में रहेगी। इसमें राजद भी शामिल है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है लेकिन इस बात की संभावना है कि पार्टी वाम दलों के साथ गठबंधन करे। एमपी और छत्तीसगढ़ में पार्टी एकला चलने की नीति पर काम कर रही है। राजस्थान में पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के साथ गठबंधन करेगी जबकि गुजरात में एनसीपी के साथ कांग्रेस का गठबंधन होगा। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, असम, दिल्ली और पंजाब में भी कांग्रेस एकला चल सकती है मगर जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेन्स के साथ गठबंधन हो सकता है। इसकी स्थिति अभी तक साफ नहीं हुई है।