Ravi Kishan Profile: भोजपुरी और बॉलीवुड अभिनेता, राजनेता और फिल्म निर्माता रवि किशन शुक्ला एक बार फिर योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 2017 तक इस सीट पर कब्जा रहा। अब फिर से बीजेपी ने रवि किशन को टिकट दिया है।

रवि किशन ने साल 2014 में राजनीतिक में एंट्री की थी। उनकी सियासत की पारी बाकियों की तरह निराश करने वाली नहीं रही। राजनीति में उनकी एंट्री तो साल 2014 में हो गई थी लेकिन उनको पहचान साल 2019 में मिली थी। कांग्रेस पार्टी से निराश हो चुके रवि किशन पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी और भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से प्रभावित हुए। बीजेपी में शामिल होने से पहले वे हर तरफ बीजेपी की तारीफ ही करते रहे थे। फिर एक समय ऐसा आया जब बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर सीट से सासंद का टिकट दे दिया।

एक सांस्कृतिक पहचान की सीट को एक फिल्मी सितारे को दिए जाने पर लोगों में निराशा पैदा होने का खतरा था लेकिन गोरखपुर की जनता ने रवि किशन को निराश नहीं किया और भारी वोटों से विजयी बनाया। साल 2014 में उन्होंने जौनपुर से चुनाव लड़ा था और उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा।

रवि किशन का बचपन गरीबी में गुजरा

जौनपुर जिले के केराकट तहसील में जन्मे रवि किशन का बचपन गरीबी में ही गुजरा। इनके पिता पंडित श्याम नारायण पुजारी थे। रवि किशन के पिता इन्हें पढ़ा लिखाकर पुजारी ही बनाना चाहते थे। लेकिन यह सब उनको पसंद नहीं था। उनके मन में बस बॉलीवुड और मुंबई जाने का सपना चल रहा था। ऐसा आया जब वह अपने घर से भागकर मुंबई पहुंच गए। यहां से उनके लिए संघर्ष का जो सिलसिला चला वह काफी लंबा था। रवि किशन कई सालों तक अच्छा किरदार पाने के लिए मुंबई की सड़कों पर भटकते रहे। आर्थिक तंगी के बावजूद भी संघर्ष करते रहे। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। फिर एक समय ऐसा आया जब बॉलीवुड और भोजपुरी सिनेमा ने उन्हें सलाम किया।

राष्ट्रीय मुद्दों पर मुखर रहे रवि किशन

रवि किशन ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए कोशिश की है कि वह हमेशा एक सांसद के रूप में उपलब्ध रहें। क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय मु्द्दों पर भी वह लगातार मुखर रहे हैं। रवि किशन को सांसद बने हुए पांच साल का समय होने वाला है। इन सालों में उन्होंने यह साबित करके दिखाया है कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं। कोरोना काल में प्रवासी संकट के दौरान वह लगातार सक्रिय रूप से नजर आए। गोरखपुर में ना रहते हुए भी वह सोशल मीडिया के जरिये अपने लोगों से जुड़े रहे। मुंबई से गोरखपुर तक लोगों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने की मांग की। महाराष्ट्र के राज्यपाल से भी मुलाकात की। वे गरीबी में तपकर आगे निकले हैं इसी वजह से लोग भी उन्हें पसंद करते हैं।