देश में लोकसभा चुनाव नजदीक है और भाजपा द्वारा लगातार उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जा रही है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 400 प्लस का टारगेट रखा हुआ है, ऐसे में हर किसी की तरफ से एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। गुजरात की पोरबंदर सीट भी काफी मायने रखती है, यहां से बीजेपी ने इस बार मनसुख मांडविया को चुनावी मैदान में उतारा है। वर्तमान में मनसुख मंडाविया देश के स्वास्थ्य मंत्री हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी बताए जाते हैं।
मनसुख मंडाविया का जन्म एक जुलाई 1972 को गुजरात के भावनगर में हुआ था। वे एक सामान्य परिवार से आते थे और उनके पिता पेशे से एक किसान थे। मंडाविया पाटीदार समाज के लेउआ समाज से ताल्लुक रखते हैं जिसकी गुजरात की राजनीति में अहम भूमिका मानी जाती है। शुरुआत से पढ़ाई तेज मनसुख अपने घर में सबसे छोटे हैं। उनके कुल चार भाई हैं, जिनमें उनकी उम्र सबसे कम बताई जाती है। मनसुख ने भी बीजेपी के दूसरे नेताओं की तरह अपनी जिंदगी का शुरुआती जीवन एबीवीपी और संघ के साथ बिताया है।
उनके जानने वाले बताते हैं कि मंडाविया ने भाजपा की युवा शाखा, संघ और एबीवीपी के साथ काम कर रखा है। माना जाता है यही से उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा भी शुरू की थी। एक समय तो मंडाविया गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मात्र 28 साल की उम्र में मंडाविया पलिताना निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत थे और सबसे छोटी आयु वाले विधायक साबित हुए थे। जानकार बताते हैं कि मनसुख मंडाविया को पदयात्रा निकालने का काफी शौक है, वे राजनीति में यात्राओं की अहमियत को बखूबी समझते हैं। इसी वजह से उन्होंने साल 2005 में बतौर विधायक 123 किलोमीटर लंबी अपनी पहली पदयात्रा निकाली थी। इसके बाद ये सिलसिला चलता रहा और मंडाविया ने कई पदयात्राएं निकालीं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान तो मंडाविया ने 150 किलोमीटर लंबी यात्रा निकाली थी।
मनसुख मंडाविया को एक तरह से मोदी सरकार के संकटमोचक के रूप में भी देखा जाता है। जिस समय देश में कोरोना का प्रकोप था और हर्षवर्धन सिंह से इस्तीफा दिलवा दिया गया था, तब मुश्किल समय में पीएम मोदी ने मंडाविया पर ही भरोसा जताया था और उनकी तरफ से कई ऐसे कदम उठाए गए जिनकी तारीफ आज भी होती है। फिर चाहे कई जरूरी दवाइयों का रेट कम होना हो या फिर स्टंट का प्राइज कम करना।