Asaduddin Owaisi Profile: असदुद्दीन ओवैसी भारतीय राजनीति में बड़ा और जाना पहचाना हुआ नाम है। ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ जरूर हैं, लेकिन पार्टी उनके चेहरे और नाम से पहचानी जाती है। एक बार फिर से ओवैसी चुनाव लड़ रहे हैं। वह पिछली बार की तरह इस बार भी हैदराबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी राजनीति का एक बड़ा चेहरा कैसे बने। आइए जानते हैं उनका सियासी सफर।

असदुद्दीन ओवैसी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। आगे की पढ़ाई करने के लिए वह लंदन चले गए। उन्होंने लंदन के लिंकन इन में बैचलर ऑफ लॉ और बैरिस्टर-एट-लॉ की पढ़ाई की और एक वकील बन गए। उनकी राजनीति मुख्य रूप से मुसलमानों और दलितों जैसे अल्पसंख्यकों पर केंद्रित है। ओवैसी अपनी राजनीति से लेकर अपने भाषणों की वजह से विवादों और खबरों में रहे हैं।

ओवैसी हैदराबाद स्थित ओवैसी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के चेयरमैन भी हैं। अस्पताल कम कीमतों पर मेडिकल सेवाएं देता है। इसकी शुरुआत औवेसी के दादा के दौर में हुई थी। अगर उनकी विचारधारा की बात करें तो वह हमेशा पिछड़े मुसलमानों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का समर्थन करते हैं। वह हमेशा कहते हैं कि वह हिंदुत्व विचारधारा के खिलाफ हैं लेकिन हिंदुओं के खिलाफ नहीं।

असदुद्दीन ओवैसी का राजनीतिक सफर

असदुद्दीन ओवैसी पहली बार साल 2004 में हैदराबाद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और अब तक वे लगातार चार बार से सांसद बन चुके हैं। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी जब तक ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष रहें तब तक एआईएमआईएम उस समय के आंध्र प्रदेश की सीमा से सटे महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई क्षेत्रों में सक्रिय थी, मगर जब पार्टी की कमान असदुद्दीन ओवैसी के हाथों में आई तो ओवैसी ने सबसे पहले पार्टी की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाने पर ध्यान दिया। असदुद्दीन ओवैसी को इसमें धीरे धीरे कामयाबी भी मिलने लगी। कुछ ही सालों में उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर भी हो गई। ओवैसी के बयान राष्ट्रीय मीडिया की कवर स्टोरी बनने लगा। पार्टी की पहुंच बढ़ी और वह आंध्रप्रदेश से निकलकर हिंदी प्रदेश तक फैलने लगी।

नतीजा यह हुआ कि एआईएमआईएम का बिहार जैसे हिंदी प्रदेश के विधानसभा में भी सीटे मिल गई। इस तरह ओवैसी की पार्टी दूर प्रदेश होने के बावजूद बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में फैलने लगी और आज भी असदुद्दीन ओवैसी व उनके पार्टी के कार्यकर्त्ता इन राज्यों में सक्रिय है। असदुद्दीन ओवैसी के ये काम पार्टी के लिए उपलब्धि कही जाएगी कि साल 2004 के बाद में एआईएमआईएम संभालने के बाद वे इसकी पहुंच राष्ट्रीय स्तर में बनाने में सफल रहे है। असदुद्दीन ओवैसी को संसद के 15वें सत्र में उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए साल 2014 का संसद रत्न पुरस्कार (Gem of Parliamentarians) से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी दुनिया के 500 सबसे शक्तिशाली मुसलमानो में शामिल है।