Lok Sabha Elections 2019: पांच साल पहले केंद्रीय मंत्री और यूपी के गौतमबुद्ध नगर से सांसद महेश शर्मा ने कचैड़ा गांव को गोद लिया था। इस गांव में पिछले साल अक्टूबर में एक बोर्ड लगाया गया, जिस पर लिखा था, ‘बीजेपी वालों का आना सख्त मना है।’ यह बोर्ड अब भी बना हुआ है। दरअसल, जमीन अधिग्रहण को लेकर गांववालों में काफी गुस्सा था, जिसके बाद यह बोर्ड लगवाया गया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि 11 अप्रैल को मतदान से पहले यह चुनावी मुद्दा बन सकता है। कभी एबीवीपी के सदस्य रहे स्थानीय बाशिंदे 28 साल के कुलदीप नागर ने कहा, ‘हमारी आंखें खुल चुकी हैं। गांव को गोद लेने के बाद महेश शर्मा यहां कभी नहीं आए। हम नोटा का विकल्प चुनना ज्यादा पसंद करेंगे।’
वहीं, गांव के प्रधान का दावा है कि बीजेपी भले ही सेना वालों की बातें करती रहती है, लेकिन वीर चक्र विजेता ज्ञान चंद के इस गांव में अभी तक उनके स्मारक के लिए जगह नहीं तय हो पाई है। तेज सिंह ने बताया, ‘1971 की जंग में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था। हमने सिर्फ एक छोटे से स्मारक स्थल के लिए जगह मांगी थी। हम इसका निर्माण खुद के पैसों से करा रहे हैं।’
बता दें कि एक निजी बिल्डिंग कंपनी से गांववालों के टकराव के 13 साल हो चुके हैं। गांववालों का दावा है कि बिल्डर ने बिना समुचित मुआवजा दिए जमीन का अधिग्रहण किया। आरोप है कि अक्टूबर 2018 में कंपनी की शह पर खेतों में खड़ी फसल को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद काफी प्रदर्शन हुए और पुलिस को दखल देनी पड़ी। मुआवजे के कई मामले अब भी इलाहाबाद हाई कोर्ट और सूरजपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लंबित हैं। गांववालों का यह भी दावा है कि विकास के प्रोजेक्ट्स के तहत, उन्हें 60 सोलर लाइट मुहैया कराए गए, लेकिन इनमें से कई में बैटरी ही नहीं थी। इसके अलावा, गांव में न तो बैंक है और न अस्पताल, इसलिए निवासियों को या तो गाजियाबाद जाना पड़ता है या ग्रेटर नोएडा।
तेज सिंह ने बताया कि गांव में एक ही प्राइवेट स्कूल है, जो पिछले प्रधानों की ओर से इंतजाम किए गए फंड्स से संचालित होता है। उनके मुताबिक, यहां सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल है और डिग्री कॉलेज तो एक सपना है। बता दें कि तेज सिंह इस चुनाव में एसपी और बीसपी के कैंडिडेट सतवीर नागर का समर्थन कर रहे हैं।
वहीं, गांववालों के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी जिलाध्यक्ष विनय भाटी ने कहा, ‘गांव में कुछ लोग हैं जो यह मानते हैं कि विकास कार्य नहीं हुए इसलिए दूसरी पार्टी को वोट देकर सत्ता में लाया जाना चाहिए। सच्चाई यह है कि आप यह दावा नहीं कर सकते कि पूरा गांव ऐसा सोचता है। कुछ लोगों की सोच को पूरे गांव की सोच नहीं कहा जा सकता। यह मुमकिन है कि कुछ साधारण से लोग हैं जो बीजेपी को वोट देना चाहते हों लेकिन उन्हें कुछ राजनीतिक लोग बरगला रहे हों। गांववालों के मुआवजे के लिए सांसद ने लगातार काम किया है। मैं लोगों के पास जाऊंगा और उनकी मुश्किलें जानूंगा। हमें लोगों के साथ रहने की जरूरत है।’ वहीं, नागर का कहना है कि लोगों को सच्चाई पता है। जब वह चुने जाएंगे तो इस जगह की तस्वीर बदल कर रख देंगे।