लोकसभा चुनाव 2019 में 29 राज्‍यों की 282 सीटों पर युवा निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। चुनाव आयोग के डेटा के एनालिसिस के आधार पर पता चलता है कि इन सीटों पर 2014 में जितना जीत का अंतर था, 2019 में पहली बार वोट करने वालों की संख्‍या उससे कहीं ज्‍यादा हो सकती है। 1997 और 2001 के बीच जन्‍म यह मतदाता पिछले आम चुनाव में मतदान के योग्‍य नहीं था। अनुमान है कि हर लोकसभा सीट पर औसतन 1.49 लाख वोटर ऐसे होंगे जो पहली बार मतदान करेंगे। यह आंकड़ा 2014 में 297 सीटों पर जीत के अंतर से ज्‍यादा है। इनमें से कुछ मतदाताओं ने 2014 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में वोट डाले होंगे, मगर आम चुनाव में मतदान का यह पहला मौका होगा।

द इंडियन एक्‍सप्रेस ने राज्‍य स्‍तर पर हर सीट के फर्स्‍ट टाइम वोटर्स (18-22 वर्षीय) का औसत और उन्‍हीं सीटों पर 2014 में जीत के अंतर की तुलना की। पता चला कि जिन सीटों पर ऐसे युवा असर डाल सकते हैं, उनकी संख्‍या 282 है – जो कि लोकसभा में बहुमत के आंकड़े से भी ज्‍यादा है। यह एनालिसिस उन नए मतदाताओं पर आधारित है जो 2014 चुनाव के बाद 18 वर्ष के हुए और वार्षिक समीक्षा के दौरान मतदाता सूची में जिनका नाम जुड़ा।

ऐसी 282 लोकसभा सीटों में से 217 देश के 12 बड़े राज्‍यों में हैं- पश्चिम बंगाल (32 सीट), बिहार (29), उत्‍तर प्रदेश (24), कर्नाटक (20), तमिलनाडु (20), राजस्‍थान (17), केरल (17), झारखंड (13), आंध्र प्रदेश (12), महाराष्‍ट्र (12), मध्‍य प्रदेश (11) और असम (10)। इन राज्‍यों में 2014 के बाद नए वोटर्स का राज्‍य औसत पिछले आम चुनावों के जीत के अंतर से ज्‍यादा है।

12 राज्‍यों की 217 सीटों पर फर्स्‍ट टाइम वोटर्स अहम

सबसे ज्‍यादा सीटों वाले उत्‍तर प्रदेश में नए वोटर्स की औसत संख्‍या 1.15 लाख है, जो कि 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां की सीटों पर जीत के औसत अंतर 1.86 लाख से कम है। हालांकि 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और अब दोनों दलों के बीच गठबंधन हो चुका है, ऐसे में नए वोटर्स चुनावी लड़ाई की दिशा को बदल सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में लगभग 8.1 करोड़ मतदाता ऐसे होंगे जो आम चुनाव में पहली बार वोट करेंगे।