लोकसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं। इस बार सरकार तो फिर मोदी की बनती दिख रही है, लेकिन बहुमत काफी कमजोर है। अभी तक एनडीए अपने दम पर 300 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है, बीजेपी तो 240 सीटों पर सिमटती दिख रही है। इंडिया गठबंधन 230 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, ऐसे में सवाल उठेगा कि आखिर एनडीए को इतना तगड़ा डेंट कैसे पहुंच गया? अब कुछ कारण सामने आने लगे हैं, उन्हीं में से एक इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रमक और ‘विवादित’ भाषा।

पीएम के बयानों से बीजेपी को नुकसान!

इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलसूत्र और घुसपैठिए जैसे शब्दों का कई रैलियों में जिक्र किया था। उस प्रकार की भाषा पर काफी विवाद हुआ, विपक्ष ने उसे बड़ा मुद्दा बनाया, यहां तक कहा गया कि पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को चोट पहुंचाई। अब पद को चोट पहुंचाई या नहीं, यह विवाद का विषय है, लेकिन सीटों के मामले में जरूर बीजेपी को नुकसान होता दिख रहा है।

जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बंसवारा में 21 अप्रैल को सबसे पहले मंगलसूत्र का जिक्र किया था। उस सीट पर इस समय बीजेपी के प्रत्याशी महेंद्र सिंह जीत मालविया काफी पिछड़ चुके हैं। भारत आदिवासी पार्टी के राज कुमार रोट ने निर्णायक बढ़त बना रखी है।

ऐसा क्या बोला था मोदी ने?

पीएम मोदी ने कहा था कि यह अर्बन नक्सल वाली मानसिकता ऐसी कि यह आप लोगों के मंगलसूत्र को भी नहीं छोड़ेंगे। कांग्रेस का तो घोषणा पत्र कहता है कि यह लोग जानकारी निकालेंगे कि मां ओर बहनों के पास कितना सोना है, उसके बाद उस प्रॉपर्टी को दूसरों में बांट देंगे। जानते हैं ना किसे बांट दिया जाएगा- उन्हीं को जिन्हें लेकर मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक उनका है।

अब चुनावी मौसम में जरूर लग रहा था कि पीएम मोदी इस बयानबाजी की वजह से ध्रुवीकरण हुआ, बीजेपी के पक्ष में हवा बनी, लेकिन नतीजे जो जा रहे हैं, वो साफ दिखाते हैं कि इसका रिवर्स इफेक्ट पड़ चुका है। बीजेपी को राजस्थान में भारी चोट पहुंची है। अब पॉलिटिकल एकस्पर्ट कह रहे हैं कि राजस्थान की भाषा में ही इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल नहीं होता है, इसी वजह से जनता ने भी पीएम के इस नेरेटिव को सिरे से खारिज कर दिया।

हैरानी की बात यह है कि पीएम मोदी ने जो ‘घुसपैठिए’ शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल किया, तब भी बांसवाडा की धरती को ही चुना गया। उस समय तो पीएम की शिकायत को लेकर लेफ्ट चुनाव आयोग के पास तक चली गई थी।

मोदी से ज्यादा मुद्दों पर पड़ गया वोट!

असल में 21 अप्रैल की ही रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो, देश की संपत्ति को घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों में बांट दिया जाएगा। अब पीएम मोदी का इशारा साफ था, वे कहना चाहते थे कि मुस्लिम वर्ग को कांग्रेस सीधा फायदा पहुंचाएगी, वो तुष्टीकरण की राजनीति करेगी। बीजेपी की रणनीति यह थी कि इस तरह से कांग्रेस को पूरी तरह हिंदू विरोधी दिखाया जाएगा और उस वर्ग का एकमुश्त वोट उसे पड़ेगा। लेकिन राजस्थान का वोटिंग पैटर्न बता रहा है कि पार्टी की यह रणनीति पूरी तरह फेल हो चुकी है। इस बार राजस्थान में स्थानीय मुद्दों पर वोट पड़े हैं। मोदी के विवादित बयानों से सिर्फ बीजेपी को नुकसान पहुंचा है।