उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर सीट जाट लैंड के नाम से भी जानी जाती है। पिछले दो बार से मुजफ्फरनगर की सीट बीजेपी के खाते में जा रही है। संजीव बालियान यहां से लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं और एक बार फिर हैट्रिक लगाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं। इस बार बीजेपी के सामने मुजफ्फरनगर में चुनौती ज्यादा बड़ी है क्योंकि विपक्ष एकजुट है और इंडिया गठबंधन ने यहां से संयुक्त रूप से हरेंद्र सिंह मलिक को मौका दिया है।
2019 के नतीजे की बात करें तो बीजेपी के संजीव कुमार बालियान ने मुजफ्फरनगर से जीत जरूर दर्ज की, लेकिन मुकाबला काफी कड़ा था। उस चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष और उम्मीदवार अजीत सिंह ने उन्हें सीधी टक्कर देने का काम किया था। अगर एक तरफ संजीव बालियान को 5 लाख 73 हजार से ज्यादा वोट मिले थे तो वहीं अजीत सिंह को 56 लाख 7254 वोट मिले थे, यानी की 6526 वोटो के अंतर से बालियान ने वो सेट अपने नाम की थी।
चुनाव का पूरा शेड्यूल यहां जानिए
मुजफ्फरनगर के संसदीय इतिहास की बात करें तो 1990 के बाद से कुल आठ बार यहां पर चुनाव हुए हैं। यहां भाजपा से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस सभी पार्टियों को जीत मिल चुकी है। आखरी बार 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर में जीत दर्ज की थी। वही 2004 के चुनाव में सपा के मुनव्वर हसन विजयी हुए थे। फिर 2009 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के कादर खान ने वो सीट अपने नाम की। लेकिन फिर मोदी लहर के बाद से 2014 से संजीव कुमार बालियान के खाते में मुजफ्फरनगर सीट चल रही है। उन्हें फिर यहां से चुनावी टिकट दिया गया है।
मुजफ्फरनगर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर 57 फ़ीसदी के करीब हिंदू आबादी है, मुसलमान की भी 41% आबादी है, यानी कि सीट पर मुस्लिम फैक्टर मायने रखता है। बड़ी बात ये है कि मुजफ्फरनगर में 42 फ़ीसदी सवर्ण कैटेगरी के वोटर हैं और 12 फीसदी के करीब जाट वोटर बैठते हैं, 18% एससी और एसटी वर्ग के वोटर भी हैं।