देश में लोकसभा चुनाव करीब है, तमाम पार्टियों ने प्रचार भी शुरू कर दिया है। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश 80 सीटों की वजह से निर्णायक बना हुआ है। यूपी की कई ऐसी सीटें हैं जहां पर मुकाबला काफी दिलचस्प देखने को मिलता है। इसी कड़ी में मिर्जापुर सीट भी हमेशा से ही दिलचस्प मानी गई है। यहां पर होने वाले चुनाव न सिर्फ कांटे के होते हैं बल्कि तमाम समीकरण भी साधे जाते हैं।
वर्तमान में अपना दल (सोने लाल) की अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद चल रही हैं। वे केंद्र में मंत्री भी हैं। 2014 के चुनाव में भी अपना दल की नेता ने यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी।
बड़ी बात ये है कि बीजेपी को पहले 2014 और फिर 19 में मिर्जापुर से सिर्फ जीत नहीं मिली बल्कि कहना चाहिए काफी बड़े अंतर से विरोधियों को हराया गया। आंकड़े बताते हैं कि दोनों 2014 और 2019 में अनुप्रिया पटेल ने दो लाख से भी बड़े अंतर से अपने विरोधियों को चित करने का काम किया था। 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के रामचरित्र निषाद रहे थे, वहीं चौथे नंबर पर कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी जिन्हें मात्र 91 हजार 501 वोट मिले थे।
मिर्जापुर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर पिछड़े वर्ग की आबादी 49% के करीब चल रही है। इसके अलावा अनुसूचित जाति लगभग 25% बैठते हैं, सामान्य वर्ग की मिर्जापुर में जनसंख्या 23 फीसदी बताई जाती है। यहां पर एक निर्णायक जाती कुर्मी समाज की भी मानी जाती है जिसका वोट 13% के करीब है।