उत्तर प्रदेश की झांसी सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है। इतिहास के चश्मे से देखें तो बुंदेलखंड इलाके में आने वाली ये सीट अपने शौर्य, रानी लक्ष्मी बाई के साहस के लिए जानी जाती है। सियासी रूप से झांसी को कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना गया है,लेकिन 2014 की मोदी लहर के बाद से जमीन पर समीकरण बदले हैं। उन बदले समीकरणों में बीजेपी ने यहां बड़ी सेंधमारी की है और विपक्ष के लिए चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो झांसी से बीजेपी ने अनुराग शर्मा को टिकट दिया था, सपा की तरफ से श्याम सुंदर सिंह यादव को मौका दिया गया था, वहीं कांग्रेस के शिवशरण कुशवाह भी चुनावी मैदान में थे। उस चुनाव में बीजेपी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी और अनुराग शर्मा को कुल 8,09,272 वोट मिले थे। सपा के श्याम सुंदर सिंह यादव को 4,43,589 वोट और कांग्रेस के शिवशरण कुशवाह को 86,139 वोट मिले थे।
जानकारी के लिए बता दें कि झांसी से विधानसभा की कुल पांच सीटें निकलती हैं। इसमें बबीना, ललितपुर, झांसी नगर, महरौनी और मऊरानीपुर शामिल हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो झांसी में अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 24 प्रतिशत के करीब बैठती है। इसके अलावा मुस्लिम 9 फीसदी हैं, यादव-ब्राह्मण सममीकरण भी निर्णायक साबित होता है।
अब झांसी को कांग्रेस का गढ़ इसलिए माना जाता है क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 9 बार यहां से बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। बीजेपी को झांसी से 6 बार यहां से जीत मिली है। सपा-बसपा झांसी में अपनी उपस्थिति ज्यादा मजबूती से नहीं दर्ज करवा पाई है।