वीवीपीएटी (VVPAT) पर्चियों की मिलान किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में दखलअंदाजी से लोकतंत्र को नुकसान होगा। चेन्नई के टेक फॉर ऑल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि तकनीकी तौर पर वीवीपैट से जुड़ी ईवीएम सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का इस याचिका पर कहना है कि इस याचिका से फर्जी बवाल बनाया जा रहा है। बता दें कि याचिका में ओडिशा और गोवा में ईवीएम की खराबी का हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब पहले ही मुख्य न्यायाधीश इस मामले पर अपना फैसला दे चुके हैं तो फिर वेकेशन बेंच के सामने इस मामले को क्यों उठाया जा रहा है।
चुनाव आयोग के पैनल ने पचास प्रतिशत तक वीवीपीएटी और ईवीएम के मिलान को लेकर कहा था कि अगर ऐसा होता है तो मिलान करने की वजह से चुनाव के परिणाम आने में 6-9 दिन का वक्त लग सकता है। इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में 400 से अधिक बूथ हैं तो वहां मतगणना में 9 दिन भी लग सकते हैं।
Coming down heavily on the petitioner, Justice Mishra, while dismissing the petition, said, “Won’t entertain such kind of plea over&over again. We can’t come in the way of people electing their representatives.” The Justice also termed the move of the petitioner, a “nuisance” PIL https://t.co/bzylpgmaBP
— ANI (@ANI) May 21, 2019
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 7 मई को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी नेताओं द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इस याचिका में ईवीएम के साथ वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को चुनाव आयोग को लोकसभा चुनावों में एक से पांच मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान को बढ़ाने का निर्देश दिया था।
