लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के लिए बिहार महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का ऐलान हो चुका है। सभी सहयोगी दलों को थोड़े-बहुत अंतर के साथ सीटें आवंटित की जा चुकी हैं। लेकिन, इस बीच सबसे चौंकाने वाला पक्ष सीपीआई को गठबंधन में शामिल नहीं करना रहा। महागठबंधन से सीपीआई को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे डेल्ही कॉन्फिडेंशल की रिपोर्ट के मुताबिक सीपीआई का आरजेडी के नेतृत्व वाले गठबंधन में जगह नहीं मिलने के पीछे कन्हैया कुमार (जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष) बड़ी वजह हो सकते हैं। दरअसल, सीपीआई के कई नेताओं का मनना है कि कन्हैया कुमार के चुनाव में भाग लेने से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव निजी तौर पर असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
सीपीआई बेगुसराय से कन्हैया कुमार के लिए एक सीट की मांग कर रही थी। इसके लिए पार्टी के नेता डी राजा ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से रांची जेल में मुलाकात भी की थी। यही नहीं इस मसले को लेकर राजा काफी वक्त से कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल के संपर्क में भी थे। कांग्रेस शुरू से सीपीआई को एक सीट देने के पक्ष में थी। अपनी सफाई में गोहिल ने यह बात शुक्रवार को डी राजा से भी कही।
हालांकि, सीपीआई के शीर्ष नेतृत्व का दावा है कि कन्हैया कुमार की छवि से तेजस्वी यादव को खतरा महसूस हो रहा है। वह नहीं चाहते कि कन्हैया जैसा शक्तिशाली वक्ता बिहार में नेता बनकर उभरे। तेजस्वी यादव जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ मंच साझा करने से हमेशा कतराते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए कन्हैया कुमार को सीपीआई मैदान में उतारेगी या नहीं इसका ऐलान रविवार को होगा।

