Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्धा में दिए गए भाषण मामले में आदर्श आचार संहिता के तहत क्लीन चिट दिए जाने के एक दिन बाद आयोग ने बुधवार को पीएम को दूसरे बारी क्लीन चिट दे दी। यह मामला बालाकोट हवाई हमले को लेकर 9 अप्रैल को पहली बार वोट देने वाले युवाओं को प्रेरित करने को लेकर था।
हालांकि, इस बार आयोग ने महाराष्ट्र मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEO)और ओसमानाबाद जिला निर्वाचन आयुक्त (DEO) की राय के विपरीत जाकर अपना फैसला सुनाया। इन दोनों की राय में पीएम मोदी की अपनी निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के हिसाब से ‘अनुचित’ थी। चुनाव आयोग के अनुसार अपने भाषणों में राजनीतिक फायदे के लिए सैन्य बलों का जिक्र या इनके नाम का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग की बैठक में मंगलवार को इस मुद्दे का काफी गहन चर्चा हुई। इस मुद्दे पर तकनीकी आधार पर अनदेखा किया गया और कहा गया कि मोदी ने मोदी ने बालाकोट हवाई हमले का जिक्र कर अपने या पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा है।
नाम नहीं बताने की शर्त पर चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, CEO और DEO की टिप्पणियों पर विचार ही नहीं किया गया जबकि उनका विचार सिर्फ भाषण के पांच लाइनों पर आधारित था। अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग की तरफ से निर्णय पूरे भाषण के आधार पर लिया गया।
चुनाव आयोग की तरफ से कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी जवाब भेज दिया गया। 19 मार्च को चुनाव समिति ने सभी पार्टियों को लिखित रूप में यह कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल या उनका नेता सैन्य बलों की गतिविधियों का अपने पार्टी के प्रचार में प्रयोग नहीं करेगा। इससे पहले 9 मार्च के आयोग ने इसी तरह की एडवाइजरी जारी की थी जिसमें सभी राजनीतिक दलों से सैन्य बलों की तस्वीरों या उनके काम की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया था।
इससे पहले 9 अप्रैल को पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था, ‘मैं जरा कहना चाहता हूं मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों को. क्या आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? मैं मेरे फर्स्ट टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि आपका पहला वोट पुलवामा में जो वीर शहीद हुए हैं उन वीर शहीदों के नाम आपका वोट समर्पित हो सकता है क्या?’
