Lok Sabha Election 2019: इस लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रमुख राजनीतिक दल यह दावा नहीं कर सकता है कि उसने आपराधिक छवि वाले लोगों को टिकट नहीं दिया है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों बड़ी संख्या में आपराधिक छवि वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बना रहे हैं।
अब इसे सियासी मजबूरी कहें या जरूरत लेकिन ऐसे उम्मीदवार न सिर्फ चुनाव मैदान में हैं बल्कि इनमें से कई उम्मीदवार संसद भी पहुंचेंगे। आपराधिक छवि वाले लोगों को टिकट देने में सियासी रूप से मजबूत पकड़ रखने वाले प्रमुख क्षेत्रीय दल भी पीछे नहीं हैं। संख्या के हिसाब से लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में कांग्रेस के कुल 90 उम्मीदवारों में से 40 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। यह कुल उम्मीदवारों का 44 फीसदी है। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा भी कांग्रेस के साथ कदमताल कर रही है।
भाजपा के कुल 97 उम्मीदवारों में 38 ने चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। तीसरे चरण में इन दोनों प्रमुख दलों के साथ ही बहुजन समाज पार्टी के भी 11 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के सात उम्मीदवारों पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।
समाजवादी पार्टी ने 5 और तृणमूल कांग्रेस ने 4 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि इनमें कुछ ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिनपर हत्या, रेप और हत्या के प्रयास और ऐसे ही अन्य मामले हैं। इन मामलों में पांच साल या इससे अधिक की सजा हो सकती है। ऐसे उम्मीदवार जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है, उसमें सबसे अधिक भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में है।
भाजपा ने तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव के लिए कुल 97 में ऐसे 26 उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस पार्टी में गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद टिकट पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या भाजपा से एक अधिक होकर 27 है। वहीं बसपा के 92 में दो उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
शिवसेना की तरफ से घोषित 22 उम्मीदवारों में 2 दो उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सीपीएम ने 6, एनसीपी ने 5, समाजवादी पार्टी ने 4 और टीएमसी ने 4 लोगों को टिकट दिया है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
