सभी राजनीतिक दलों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी के पास सबसे ज्यादा बैंक बैलेंस है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। बीएसपी की ओर से 25 फरवरी को चुनाव आयोग के पास खर्चे का लेखा-जोखा दाखिल किया गया है।
इसके मुताबिक, बीएसपी के पास कुल 669 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र स्थित विभिन्न सरकारी बैंकों की आठ शाखाओं में जमा है। बता दें कि मायावती की पार्टी 2019 आम चुनाव में अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने की तैयारी कर रही है।
पार्टी को 2014 में जोरदार झटका लगा था। इस चुनाव में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसपी ने 95.54 लाख रुपये की रकम बतौर कैश इन हैंड घोषित की है।
आंकड़ों के मुताबिक, बैंक बैलेंस के मामले में समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर है। विभिन्न बैंकों के खाते में पार्टी के 471 करोड़ रुपये जमा हैं। 13 दिसंबर 2018 तक टीडीपी का बैंक बैलेंस 107 करोड़ रुपये, बीजेपी का बैंक बैलेंस 82 करोड़, सीपीएम का 3 करोड़ और आम आदमी पार्टी का 3 करोड़ है।
बता दें कि बैंक बैलेंस के ये आंकड़े विभिन्न पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग के पास फरवरी-मार्च 2019 में दाखिल चुनावी खर्चे की डिटेल्स पर आधारत है। छत्तीसगढ़, एमपी, राजस्थान और तेलंगाना में हुए चुनाव के दौरान खर्च की जानकारी देते हुए पार्टियों ने ये डिटेल्स आयोग को दिए हैं।
हालांकि, कांग्रेस का बैंक बैलेंस 2 नवंबर 2018 के आंकड़े पर आधारित है क्योंकि उन्होंने अपनी रिपोर्ट अभी तक दाखिल नहीं की है। पिछले साल 2 नवंबर तक कांग्रेस का बैंक बैलेंस 196 करोड़ रुपये थे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत के बाद पार्टी ने अपने चुनावी खर्च की जानकारी आयोग के पास अपडेट नहीं की है।
बीजेपी का बैंक बैलेंस महज 82 करोड़ रुपये है, जो क्षेत्रीय पार्टी टीडीपी से भी कम है। टीडीपी का बैंक बैलेंस 107 करोड़ रुपये है। बीजेपी का बैंक बैलेंस भले ही कम लगे, लेकिन इलेक्टोरेल बॉन्ड्स के जरिए चुनावी चंदे हासिल करने के मामले में पार्टी बहुत आगे है। इसका अंदाजा इसी आंकड़े से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने 2017-18 में जुटाए 1027 करोड़ रुपये में से 758 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह खर्च किसी भी पार्टी के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
