Lok Sabha Election 2019 की रणभेरी बज चुकी है और सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव आयोग भी पूरी तैयारी कर चुका है। लोकतंत्र के इस महापर्व पर हर वयस्क भारतीय नागरिक का शरीक होना बेहद महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग की तरफ से दिव्यांगों, वृद्धों, महिलाओं समेत सभी नागरिकों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं, ताकि वे मतदान कर सकें। कहीं नक्सलियों, माओवादियों से लोहा लेते सुरक्षाकर्मी तो कहीं दिन-रात एक करके मतदानकर्मी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जुटे रहते हैं। ऐसा ही एक रोचक मामला अरुणाचल प्रदेश का भी है। यहां के एक इलाके में सिर्फ एक मतदाता के लिए बूथ बनाया जाता है।

मुश्किल रास्तों को पार कर जाते हैं मतदानकर्मीः सोकेला तायांग नाम की इस महिला के वोट के लिए मतदान कर्मचारी दुर्गम क्षेत्र में जाते हैं। अरुणाचल प्रदेश के अन्जाव में जिला मुख्यालय से 39 किमी दूर इनका घर है। लोकमत की रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र के उप-मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक हायूलियांग से मालोगाम तक पैदल चलकर जाना पड़ता है। इसमें एक पूरा दिन लग जाता है। अधिकारी ने कहा, ‘मतदान के लिए अधिकारियों को सुबह 7 से शाम उनके वोट डालने तक केंद्र पर रहना पड़ता है, क्योंकि पता नहीं होता सोकेला कब वोट डालने आएंगी। नियमों के मुताबिक, किसी पर जल्दी वोट डालने का दबाव भी नहीं डाला जा सकता।’

3 हजार केंद्रों पर 10 से भी कम मतदाताः हायूलियांग विधानसभा क्षेत्र के मालोगाम में काफी कम परिवार रहते हैं। गांव के बाकी लोगों के नाम दूसरे मतदान केंद्र की सूची में रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में सोकेला यहां की इकलौती मतदाता हैं। इतना ही नहीं राज्य में करीब तीन हजार मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां 10 से भी कम लोगों को वोट डालना है। उल्लेखनीय है कि 10 मार्च को चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को पहले चरण में एक साथ मतदान होगा।। राज्य में कुल 7.94 लाख मतदाता हैं।