लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां कमर कसने में लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मोदी के सिर पीएम का ताज पहनाने की कोशिश में लगी है। दूसरी तरफ विपक्षी हर हाल में 2019 के रण में मोदी को धरासाई करने की प्लान पर काम कर रही हैं। कुछ समय पहले ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल में विपक्षी एकता की एक बानगी देखने को मिली। यहां दीदी के आह्वान पर बंगाल की धरती से 23 दलों ने एकजुट हो चुनावी एकता का शंखनाद कर दिया। इसी कड़ी में इन दलों ने मिलकर मोदी को मात देने का ब्लूप्रिंट तैयार किया है।
बीते महीने जनवरी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता में आने पर मिनिमम इनकम दी जाएगी। इसे लेकर भी विपक्षी गंभीर हैं। उनका मानना है कि यह एक बड़ा मुद्दा है। वहीं इसके अलावा जनवरी में ही हुई बंगाल की मेगा रैली में भी गरीबी, खेती, रोजगार और परिवार को मिनिमम इनकाम पर उठे मुद्दों से सरकार को घेरने की कोशिश है। लेकिन इन सबके अलावा तैयार किए गए ब्लूप्रिंट में कुछ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में एन चंद्र बाबू नायडू ने कहा, करीब सभी दल आम सहमति से काम कर रहे हैं। नायडू ने कहा कि किसानों के सामने पड़ने वाले संकट सबसे बड़ा मुद्दा है, बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था (जहां है) आपको ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा। साथ ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री पद को लेकर कहा कि, सबसे पहले तो हमें चुनाव जीतना होगा। इसके बाद सभी दल आम सहमति से इसका चुनाव करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, हमें बिजनेस फ्रेंडली नीतियां तैयार करनी होंगी। जिससे माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनिया आकर्षित हों।
बता दें कि, एन चंद्र बाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी संसद में पहुंचने वाली सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी है। टीडीपी पहले मोदी सरकार में भी शामिल थी। हालांकि बीते साल मार्च में नायडू ने एनडीए से खुद को अलग कर लिया। नायडू आंध्र के लिए फंड की मांग कर रहे थे, जिस पर केंद्र से सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके बाद उन्होंने गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया।