लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा जोर नौकरी और न्यूनतम आय गारंटी योजना (न्याय) पर रखा है। ‘न्याय’ स्कीम समूचे देश में कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचा सकती है, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन, अगर कांग्रेस की सरकार बनी और वादा पूरा हुआ तो वायनाड सीट की करीब 80 फीसदी जनता इसके फायदे के दायरे में आ जाएगी। बता दें कि यहां से राहुल गांधी कांग्रेस उम्‍मीदवार हैं।

2011 के आर्थिक-सामाजिक और जातिगत जनगणना के मुताबिक वायनाड केरल का सबसे पिछड़ा लोकसभा क्षेत्र है। यहां सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाले शख्स की औसत आय 5000 रुपये मासिक से कम है और यहां ऐसी आबादी की संख्या लगभग 79.67 प्रतिशत है। ऐसे में राहुल गांधी का न्याय योजना के तहत प्रति माह 6000 रुपया देने का वादा भारी संख्या में मतदाताओं को लुभा सकता है।

उत्तरी केरल में स्थित वायनाड जिला पश्चमी घाट की पहाड़ियों में स्थित है, स्थिति ऐसी है कि यहां पर टूरिज्म के लिए बेतहाशा संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक यहां सैलानी ज्यादा संख्या में नहीं पहुंचे हैं। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत तीन जिले वायानाड, कोझिकोड और मलापुरम शामिल हैं। वैसे तो केरल देश भर में मानवीय सूचकांक में विकास के दृष्टिकोण से काफी अव्वल माना जाता है, लेकिन इस राज्य की वायनाड, कोझिकोड और मलापुर क्षेत्र काफी पिछड़े हैं। वायनाड में सबसे ज्यादा आदिवासी (18.55%) रहते हैं और यहां पर गरीबी का प्रतिशत सबसे ज्यादा 32.85 फीसदी है। वहीं कोझिकोड में भी गरीबी का प्रतिशत 5.67 फीसदी और मलापुरम का 6.91 फीसदी है। इन तीनों जिलों वायनाड, कोझिकोड और मलापुरम में कम आय वाले लोगों की संख्या क्रमश: 97.76%, 75.55% और 70.5 % है।

लाइव मिंट के मुताबिक पिछले साल नीति आयोग ने बड़े स्तर पर आर्थिक और सामाजिक सुधार के लिए 117 जिलों का चयन किया था। इनमें केरल का वायनाड जिला भी शामिल था। बेहद पिछड़े जिलों में वायनाड कृषि और जल-संसाधन के क्षेत्र में 48वां स्थान रखता है, जबकि मूलभूत सुविधाओं की बात करें तो यह 50वें पायदान पर है। स्वास्थ्य और शिक्षा में भी स्थिति कुछ खास नहीं है। ऐसे में गरीबी के दलदल में फंसे वायनाड के लिए राहुल की न्यूनत आय गारंटी स्कीम चुनाव में लोगों को भारी संख्या में पोलराइज कर सकती है। वायनाड 2009 में ही लोकसभा सीट बनी है। तब से दोनों चुनावों में कांग्रेस का उम्‍मीदवार जीता है। हालांकि, 2014 में जीत का अंतर 2009 की तुलना में कई गुना कम रह गया था।