Lok Sabha Elections: भारत के लोकतांत्रिक महापर्व यानी कि लोकसभा इलेक्शन शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं। चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के बाद से ही राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। चुनाव के दौरान एक शब्द काफी चर्चा में बना रहता है वह है जमानत जब्त। इस शब्द को आपने कई बार सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असली मतलब क्या होता है। आइए जानते हैं कि पहले आम चुनाव से लेकर अब तक कितने लोगों की जमानत जब्त हुई है।
भारत में कई तरीके के चुनाव कराए जाते हैं। इसलिए अलग-अलग चुनाव में अलग-अलग जमानत राशि तय की जाती है। जैसे कि अगर कोई व्यक्ति लोकसभा का इलेक्शन लड़ना चाहता है तो उसे इलेक्शन कमीशन के पास 25 हजार रुपये जमा कराने होंगे। वहीं, अगर कोई व्यक्ति विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे चुनाव आयोग के पास 10 हजार रुपये जमा कराने होंगे। वहीं, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में यह जमानत राशि 15 हजार रुपये तय की गई है। अगर चुनाव में किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोटों का 1/6 फीसदी हासिल नहीं होता है तो उस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है। यही सेम फॉर्मूला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव पर भी लागू होता है।
पहले आम चुनाव से लेकर अब तक कितने उम्मीदवारों की जमानत हुई जब्त
पहले आम चुनाव के दौरान संसाधन उतने ज्यादा मौजूद नहीं थे जितने आज के समय में हैं। हालांकि, उस समय भी कई प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी किस्मत आजमाई थी। पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के आम चुनाव तक 91,160 उम्मीदवारों ने लोकसभा इलेक्शन लड़ा था। इनमें से 71,246 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पहले लोकसभा इलेक्शन में करीब 1874 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इनमें से तकरीबन 745 लोगों की जमानत जब्त हो गई थी। साल 1957 में हुए अगले चुनावों में काफी सुधार देखने को मिला जब 919 उम्मीदवारों में से सिर्फ 130 या 14 प्रतिशत उम्मीदवारों की ही जमानत जब्त हुई थी।
इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में यह संख्या साल दर साल तेजी से बढ़ती गई। उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने से नहीं चूके। साल 1991-92 के लोकसभा चुनाव में 8749 में से 7539 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। वहीं, अब बात की जाए साल 1996 के आम चुनाव की तो इसमें सबसे ज्यादा उम्मीदवारों ने अपनी जमानत जब्त करवाई। इस इलेक्शन में 13,952 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और 12,688 उम्मीदवार अपनी जमानत गवां बैठे।
साल 2009 के आम चुनाव में 8070 में से 6829 यानी 85 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। लोकसभा इलेक्शन 2014 में देशभर में काफी उत्साह था। उस समय पीएम नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी। उस वक्त भी 8251 उम्मीदवारों में से 7000 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। यह इस बात को भी दिखाता है कि जमानत जब्त होने के बाद भी लोगों की चुनाव लड़ने की इच्छा पर कोई असर नहीं पड़ता है।
2019 के लोकसभा इलेक्शन में कितने उम्मीदवारों की जमानत हुई जब्त
साल 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों की तरफ देखा जाए तो इस आम चुनाव में कुल 8,054 उम्मीदवार मैदान में थे जिसमें पुरुष उम्मीदवारों की संख्या 7,322 थी जबकि महिला उम्मीदवारों की संख्या 726 थी। इसमें 465 पुरुष उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो 78 महिला उम्मीदवारों को जीत मिली। सियासी दंगल में उतरे 6,923 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। चुनाव में उतरे 7 राष्ट्रीय दलों के 1454 उम्मीदवारों में से सिर्फ 397 को ही जीत मिली थी। इनमें से सबसे खास बात यह है कि इनमें से 670 उम्मीदवारों की तो जमानत ही जब्त हो गई।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी (BSP) के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी। बसपा ने 383 सीट पर प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से 345 की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद कांग्रेस आती है जिसने 421 सीट पर चुनाव लड़ा था और 148 सीट पर उसके उम्मीदवार अपनी जमानत गंवा बैठे थे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 51 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 49 में से 41 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी।