Lok Sabha 2019: विभिन्न मीडिया संस्थाओं के एग्जिट पोल के बाद अब सट्टा बाजार में भी भगवा लहर नजर आने लगी है। सट्टा बाजार का आकलन है कि इस बार भी एनडीए केंद्र में सरकार बना लेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री होंगे। मुंबई सट्टा बाजार ने 17वें लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 238-241 सीटें दी है। कांग्रेस को लेकर सट्टा बाजार का अनुमान है कि पार्टी 78-81 के बीच सीट जीत लेगी। राजस्थान और गुजरात के सट्टा बाजार में भी भाजपा के पक्ष में लहर है। राजस्थान सट्टा बाजार ने भाजपा को जहां 242-245 सीटें दी हैं वहीं गुजरात के सट्टा बाजार का अनुमान है भाजपा 242-244 सीटें जीत लेगी। राजस्थान सट्टा बाजार के पंटर्स के मुताबिक कांग्रेस को 75-80 सीटें मिलेंगी जबकि गुजरात के सट्टा बाजार ने पार्टी को 80-82 सीटें दी हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सट्टा बाजार में भी भगवा पार्टी आगे है। शहर के पंटर्स का पूर्वानुमान है कि भाजपा को 246-248 के बीच लोकसभा सीटें मिलेंगी जबकि कांग्रेस के खाते में 80-82 सीटें आएंगी। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक कुछ पंटर्स ने नाम ना छापने की शर्त पर खुलासा किया कि एनडीए या यूपीए पर दांव लगाना खासा मुश्किल है इसलिए व्यक्तिगत पार्टी के प्रदर्शन को प्राथमिकता देते हैं।
कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है मगर कहा जा रहा है कि चुनाव में किस पार्टी का कैसा प्रदर्शन होगा इसे लेकर सट्टा बाजार में करोड़ों रुपए दांव पर लगे हैं। पिछले कुछ सालों में यह तेजी से बढ़ा है क्योंकि रिपोर्ट्स से पता चला है कि इस बार सट्टा बाजार का आकार साल 2014 के लोकसभा चुनाव से खासा बड़ा है। कुछ पंटर्स का तो अनुमान है कि इस बार दोगुना पैसा सट्टा बाजार में लगा है। हालांकि सट्टेबाजों में आईपीएल सबसे ऊपर है। रिपोर्ट के मुताबिक सट्टा फोन, मोबाइल एप्लीकेशन और वेबसाइट्स के जरिए लगाए जाते हैं।
सट्टा बाजार में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर खूब सट्टा लगा है। इसके अलावा राहुल गांधी के अमेठी जीतने और उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन पर करोड़ों रुपए लगे हैं। गौरतलब है कि भारत के अधिकतर भाग में सट्टा लगाना गैरकानूनी है मगर ऑनलाइन सट्टेबाजी को लेकर गाइडलाइन नहीं है। 1877 के पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, जो एक केंद्रीय कानून है, के तहत भारत मे सभी तरह का जुआ प्रतिबंधित है। कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़, पंजाब और बिहार ने इस एक्ट को अपनाया लेकिन कुछ राज्यों ने अपने खुद के कानून लागू किए हैं।