मोदी सरकार को केंद्र में 10 साल पूरे होने को हैं, इस सरकार का किसनों के साथ एक विवादित रिश्ता रहा है जहां पर समय-समय पर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। ये प्रदर्शन साल भर से लेकर महीनों तक चले हैं। अब इन्हीं नाराज किसानों को खुश करने के लिए केंद्र सरकार लेकर आई थी किसान सम्मान निधि योजना। अब जब वोट चाहिए तो इस योजना का हिसाब तो देना पड़ेगा।
क्या है किसान सम्मान निधि?
हिसाब जरूरी है की पांचवी किश्त में बात इसी किसान सम्मान निधि योजना की जिसको मोदी सरकार ने 24 फरवरी 2019 को लागू किया था। इस योजना के तहत किसानों को पूरे साल में तीन किश्तों में 6000 रुपये दिए जाते हैं, यानी कि एक बार फिर 2000 रुपये सीधे किसानों के खाते में डाले जाते हैं। सरकार का ही आंकड़ा कहता है कि पिछले पांच सालों में इस योजना के जरिए सीधे 11 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं। ये सारा पैसा डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के जरिए किसानों तक पहुंचा है।
सरकार क्या मानती अपनी उपलब्धि?
केंद्र सरकार का तर्क है कि उसकी इस योजना में कोई भ्रष्टाचार नहीं है क्योंकि यहां बिचौलियों की भूमिका को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। सरकार ये भी मानती है कि उसकी योजना की वजह से कोरोना काल के दौरान किसानों को काफी फायदा पहुंचा। ये आंकड़ा भी खुद मोदी सरकार ने ही जारी किया है जिसके मुताबिक कोरोना के समय 1.75 लाख करोड़ किसानों तक सीधा पैसा पहुंचा है। असल में उस समय क्योंकि किसानों को पैसे की सबसे ज्यादा जरूरत थी, ऐसे में सरकार इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर दिखा रही है।
सरकार का पैसा कहां इस्तेमाल कर रहे किसान?
अब ग्रामीण भारत के लिहाज से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना प्रभावी मानी जा सकती है, ये सच है कि किसानों को मिल रहा पैसा उसे फायदा दे रहा है। एक रिपोर्ट बताती है कि किसान निधि का जो पैसा अन्नदाता को मिल रहा है, उसका इस्तेमाल दो तरह से हो रहा है। अगर किश्त सीजन के समय आ रही है तो उसी पैसे से बीज और खेती से जुड़ी दूसरी चीजें खरीदी जा रही हैं, वहीं अगर ये पैसा ऑफ सीजन में मिलता है तो निजी खर्चों में ज्यादा खर्च देखने को मिलता है।
एक स्टडी बताती है कि किसानों को वर्तमान में जो 6000 रुपये मिलते हैं, उसका 51.6 फीसदी हिस्सा, यानी कि 3000 के करीब रुपये खेती से जुड़े काम पर ही खर्च होते हैं। अब ये सारे आंकड़े बताते हैं कि किसान निधि की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार तो हुआ है। आय दोगुनी ना भी हुई हो, लेकिन मदद वाली राशि तो मिल ही रही है। लेकिन अब सवाल ये आता है कि आखिर कितने किसानों तक असल में इस योजना का फायदा पहुंच रहा है?
5 करोड़ किसानों तक नहीं पहुंचा लाभ
अब ये आंकड़ा सरकार को थोड़ा असहज कर सकता है। सरकारी योजनाओं का लोगों तक फायदा पहुंचाने वाली संस्थान हकदर्शक के मुताबिक देश में अभी भी 5.1 करोड़ किसान ऐसे हैं जिन्हें सरकार की इस योजना का फायदा नहीं मिल रहा है। जानकार मानते हैं कि कई किसानों में अभी भी जागरूकता की कमी है, उससे भी बड़ी समस्या ये चल रही है कि कई किसानों के डॉक्यूमेंट्स पूरे नहीं हैं। किसी का आधार वेरिफाइड नहीं होता है तो किसी का नंबर रेजिस्टर नहीं होता है। इन मामूली कारणों की वजह से कई किसान 6000 रुपये से वंचित चल रहे हैं।
किसानों को क्या समस्या आ रही?
इसके ऊपर कई ऐसे किसान भी मौजूद हैं जो वैसे तो योजना के तहत राशि पाने के हकदार हैं, लेकिन छोटे टेक्निकल एरर की वजह से उन्हें कई महीनों से किश्त ही नहीं मिल रही है। ये कई राज्यों में एक समस्या बनकर सामने आया है। ऐसे में सरकार किस तरह से डिजिटल इंडिया के साथ आगे बढ़ते हुए तकनीक को भी सिंपल रखती है, ये आने वाले समय में असल परीक्षा रहने वाली है। अभी के लिए तो सरकार किसानों की दोगुनी इनकम से ज्यादा इस किसान निधि योजना का प्रचार करना चाहती है। यानी कि जो थोड़ी बहुत मदद भी किसानों तक पहुंची है, उसी के दम पर नाराजगी दूर करने की कवायद है।