कर्नाटक चुनाव में पिछले 38 सालों से कोई भी पार्टी दोबारा सत्ता में वापस नहीं आ पाई है। ऐसा ट्रेंड सेट हो गया है कि हर पांच साल में सरकार बदल ही जाती है। इसी ट्रेंड की वजह से इस बार बीजेपी की चिंता ज्यादा है। एक तरफ वो सता विरोधी लहर का सामना कर रही है तो दूसरी तरफ तमाम तरह के विवाद भी उसके लिए सिरदर्दी बन चुके हैं। अब इन चुनौतियों के बीच प्रचार के लिए पार्टी इस समय एक अलग ही फॉर्मूले पर अमल करती दिख रही है। इस फॉर्मूले में पार्टी कन्नड फिल्म इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स को प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रही है।
कर्नाटक की राजनीति और फिल्मी कलाकारों की सियासत
किच्चा सुदीप तो पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वे बीजेपी के लिए इस चुनाव में प्रचार करने वाले हैं, अब इस लिस्ट में एक और जाने माने एक्टर का नाम जुड़ गया है। बताया जा रहा है कि टॉलीवुड एक्टर Brahmanandam कर्नाटक में स्वास्थ्य मंत्री सुधाकर के लिए चुनावी प्रचार करने जा रहे हैं। चिकबलपुर से चुनाव लड़ सुधाकर के सामने बड़ी चुनौती तमिल वोटरों को लुभाने की है। असल में इस सीट के जैसे समीकरण हैं, यहां पर तमिल वोटर हार-जीत तय कर जाते हैं।
उसी बात को समझते हुए पार्टी ने सोची-समझी रणनीति के तहत Brahmanandam को चुनावी मैदान में प्रचार के लिए उतारा है। कई कॉमेडी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा चुका ये अभिनेता तमिल लोगों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। अब पार्टी उसी लोकप्रियता को अपने उम्मीदवार के लिए वोटों में तब्दील होता देखना चाहती है। इस बारे में बीजेपी नेता सुधाकर एक न्यूज पोर्टल से कहते हैं कि Brahmanandam एक काफी फेमस कॉमेडियन हैं. वे चिकबलपुर में पार्टी के लिए प्रचार करने वाले हैं। वे इलाके की तीन अलग-अलग जगहों पर भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे।
कर्नाटक में कितनी हिट है फिल्मी सियासत?
अब कांग्रेस में ऐसे ही कुछ फिल्मी सितारों का समर्थन ले रही है, यानी कि इस फॉर्मूले पर सभी दल भरोसा करते हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि कर्नाटक में फिल्मी कलाकार राजनीति में कितने सफल रहे हैं? क्या कर्नाटक की जनता जिन कलाकारों को बड़े पर्दे पर पसंद करती है, क्या उन्हें चुनावी मैदान में भी जीत दिलवा देती है? अब ये ट्रेंड समझने के लिए दक्षिण की राजनीति में फिल्मी कलाकारों की सियासत को समझना जरूरी हो जाता है।
कर्नाटक में जब भी सफल फिल्मी नेताओं की बात की जाती है तो अंबरीश का जिक्र होना जरूरी हो जाता है। 1994 में अपनी राजनीति शुरू करने वाले अंबरीश ने सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। लेकिन दो साल बाद जब उन्हें चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिला, उन्होंने जेडीएस का दामन थाम लिया. जेडीएस के साथ रहते हुए उन्होंने 1998 में मांड्या लोकसभा सीट से चुनाव भी जीत लिया था। लेकिन बाद में फिर वे कांग्रेस में ही चले गए और यूपीए की पहली सरकार में केंद्रीय मंत्री बनने का मौका भी मिला। अंबरीश उन चुनिंदा कन्नड स्टार्स में रहे जिनकी स्टार पॉवर ने उन्हें वोट भी दिलवाए और उनकी रैलियों में भारी भीड़ भी जुट जाती थी। कांग्रेस ने उनकी उस लोकप्रियता का हर बार पूरा इस्तेमाल किया था।
वो कलाकार जो बन गए बड़े नेता
वैसे 2018 में जब अंबरीश का निधन हुआ, उनकी पत्नी ने भी सियासत में अपनी किस्मत आजमाई और सफलता भी चख ली। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उतरने का फैसला किया था और मांड्या से जीत भी दर्ज कर ली थी। उस चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी को करारी शिकस्त दी थी। कन्नड इंडस्ट्री की दिव्या स्पंदना उर्फ रम्या भी सियासत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब हुई हैं। वे भी मांड्या सीट से ही 2013 में जीती थीं, लेकिन फिर मोदी लहर के दौरान 2014 में उन्हें लोकसभा चुनाव में हार मिली। फिर कुछ समय के लिए वे कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड भी बनीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राजनीति से रम्या का मन उचट गया और उन्होंने एप्पल बॉक्स स्टूडियो के नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू करने का फैसला किया।
साउथ में स्टार बन जाते भगवान, सियासी फायदा पूरा?
वैसे कन्नड इंडस्ट्री से ज्यादा सफल तो सियासत में टॉलीवुड रहा है। MGR, करुणानिधि, जयललिता कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने देश की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। कहने को फिल्मी पर्दे पर अपनी पहचान बनाई, लेकिन बाद में उसी लोकप्रियता ने उन्हें दिग्गज नेता का तमगा भी दे दिया। दक्षिण में तो वैसे भी स्टार्स को भगवान तक का दर्जा दे दिया जाता है, इमोशनल कनेक्शन ऐसा रहता है कि लोग सब भूलकर सिर्फ उन्हें प्यार करते हैं। अब ऐसा रिस्पॉन्स अगर उनके प्रचार से पार्टियों को भी मिल जाए, तो ये बड़ा एक्स फैक्टर साबित हो सकता है।