बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत अब सियासी डेब्यू करने जा रही हैं। बीजेपी ने आगमी लोकसभा चुनाव में कंगना को हिमाचल की मंडी सीट से टिकट दिया है। मंडी में ही पैदा हुईं कंगना के लिए ये एक लाइफ चेंजिंग इवेंट साबित होने जा रहा है। हर कोई बीजेपी के इस फैसले से हैरान है, कई को लग रहा है कि अचानक से एक बॉलीवुड एक्ट्रेस को कैसे चुनावी मैदान में उतार दिया गया। लेकिन राजनीति को समझने वाले कई साल पहले ही ये बात प्रिडिक्ट कर चुके थे- कंगना का बीजेपी में जाना तय है!

कंगना रनौत की जैसी शख्सियत है, वो पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन में फिट बैठती है जहां पर एक आम परिवार से आई किसी महिला ने ना सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर पहचान बनाई बल्कि सफलता की सीढ़ी भी लगातार चढ़ती रही। कंगना को लेकर एक परसेप्शन बन चुका है कि वे अकेले ही हर किसी का सामना करती हैं, कितने भी बड़े विवाद क्यों नहीं हुए, कितनी बार भी उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, लेकिन वे कभी झुकी नहीं, उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं खींचे, ये बताने के लिए काफी है कि वे कितनी सशक्त हैं। अब उनकी वही सशक्त पर्सनालिटी बीजेपी को इस समय सूट कर रही है, उनके जरिए एक बड़े वर्ग या कहना चाहिए देश की आधी आबादी को संदेश देने का काम होगा।

अब कंगना के बॉलीवुड करियर पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि कई ऐसे पड़ाव आए हैं जहां उन्होंंने विवादों में रहकर भी अपनी पॉलिटिकल विचारधारा को साफ समझाने की कोशिश की है। उस समय को कौन भूल सकता है जब कंगाना ने डंके की चोट पर नेपोटिज्म का मुद्दा उठाया था। उनकी तरफ से बॉलीवुड के बड़े खिलाड़ियों को निशाने पर लिया गया था, उसमें फिल्ममेकर करण जौहर पर सबसे तगड़े वार हुए। ये वो समय था जब कंगना आइसोलट होना शुरू हो चुकी थीं। उन्होंने एक मुद्दे से एक तरह से पूरे बॉलीवुड को अपने खिलाफ कर लिया था। लेकिन एक चीज कॉमन थी- हार ना मानने की कला। ये कला ही उन्हें एक सफल नेता भी बना सकती है।

वैसे एक वक्त ऐसा भी आया था जब कंगना ने बिना राजनीति में एंट्री लिए उद्वव ठाकरे को सीधे चुनौती देने का काम किया था। ये बात चार साल पुरानी है जब कंगना रनौत के ऑफिस पर बुलडोजर चलाया गया था। ये वो वक्त था जब कंगना ने उद्धव और तब की संयुक्त शिवसेना पर तगड़े हमले किए थे। कभी उद्धव को वंशवाद का नमूना कहा था तो शिवसेना को सोनिया सेना तक करार दिया था। उस समय कंगना को बीजेपी का पूरा समर्थन मिला था, उस घटना से भी साफ हो चुका था कि अगर कंगना ने राजनीति में कदम रखा तो उनकी पारी बीजेपी से ही शुरू होगी।

अब बात अगर कंगना की फिल्मों के चयन की करें, उससे भी पता चलता है कि उनकी फिल्मी विचारधारा बीजेपी की विचारधारा से काफी मेल खा रही थी। मणिकर्णिका, तेजस, धाकड़, ये कुछ ऐसी फिल्में थीं जो पूरी तरह देशभक्ति पर आधारित रहीं। इसी तरह उनकी अपकमिंग फिल्म एमरजेंसी कांग्रेस के एक काले अध्याय की कहानी बताने जा रही है। ऐसे में ये भी बीजेपी की विचारधारा के साथ फिट बैठेगा।

इसके ऊपर हाल ही में जो राम मंदिर कार्यक्रम संपन्न हुआ है, उसमें कंगना का जाना, उनका जय श्री राम के नारे लगाना बताता है कि वे पूरी तरह बीजेपी में आने को तैयार हो चुकी थीं। जिस तरह से वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिफेंड करने लगी थीं, वो भी बताने के लिए काफी था कि कुछ तो खिचड़ी पक रही थी। अब वो खिचड़ी पूरी तरह तैयार है और कंगना अपना सियासी डेब्यू करने जा रही हैं।