84 साल के के श्यामबाबू सुबुधी के लिए चुनाव में हार या जीत के मायने कुछ भी नहीं है। वह 28 बार से चुनाव लड़ते आए हैं और 28 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 84 साल की उम्र में वह अपने हौसलों के दम से नई इबारत लिख रहे हैं। बरहामपुर के निवासी श्यामबाबू सुबुधी ने यह सफर 1957 से शुरू किया। 10 विधानसभा चुनाव समेत उन्होंने 28 चुनावों में हार देखी है। श्यामबाबू के लिए अब हार-जीत के मायने नहीं रह गए हैं। श्यामबाबू हौसले के पर्याय बन गए हैं। इस उम्र में भी इतना बुलंद हौसला अपने आप में काबिले तारीफ है।

लोकसभा चुनाव में श्यामबाबू एक बार फिर से ताल ठोंकने के लिए तैयार हैं। इसबार के लोकसभा चुनाव में श्यामबाबू गंजम जिले की अस्का और बेरहमपुर के दो सीटों से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।वह इन दो लोकसभा सीट से 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं। बुलंद हौसलों वाले श्यामबाबू ने 1957 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा। साल 1962 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। श्यामबाबू याद करते हैं कि कैसे उन्होंने मंत्री वृंदावन नायक के खिलाफ हिंजली सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। श्याबाबू के उस समय 22 साल के ही थे।

1957 से हार का सामना करते आ रहे श्यामबाबू का कहना है कि उन्हें हार जीत से फर्क नहीं पड़ता। चुनाव लड़ना उनका शौक और जुनून है। श्याबाबू को यकीन है कि एक दिन वह चुनाव जीतेंगे और लोग उन्हें अपने प्रतिनिधित्व के तौर पर चुनेंगे। पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर श्यामबाबू की चुनाव में कई बार जमानत जब्त हो गई है। उन्होंने अपना चुनाव प्रचार सुबह टहलने आए लोगों और बाजार में भीड़भाड़ वही जगहों पर अपने पर्चे बाटने के साथ शुरू किया।

उनका कहना है कि वह पहले से इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र की कई जगहों पर प्रचार कर चुके हैं उनका कहना है कि वह जहां भी जाते हैं लोग उनकी मदद के लिए पैसे देते हैं ताकि वह चुनाव लड़ सके। श्यामबाबू  पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव, ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और जे.बी. पटनायक, वर्तमान सीएम नवीन पटनायक, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र रथ और चंद्रशेखर साहू जैसे लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।