Jharkhand assembly election 2019: झारखंड में विधानसभा चुनावों में भाजपा को राज्य में सत्ता बरकरार रखने के लिए आदिवासी वोट हासिल करना जरूरी हो गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड में 26 प्रतिशत आदिवासी आबादी है। यह बहुत महत्वपूर्ण और निर्णायक वोट बैंक है। हालांकि सीएम रघुबर दास एक गैर-आदिवासी नेता हैं। वह पिछले पांच वर्षों से सत्ता में हैं और उनकी कई नीतियां इस समुदाय के पक्ष में नहीं रही हैं। इसके बावजूद पार्टी का दावा है कि आदिवासियों का वोट उन्हें मिलेगा।

पार्टी ने कहा- सभी हमारे साथ हैं : मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र रामबाबू तिवारी ने बताया, “पिछले पांच वर्षों में राज्य में हमारी सरकार ने विकास के कई कार्य कराए हैं। चाहे वह दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचाने का काम हो, या उज्जवला योजना के तहत महिलाओं को गैस सिलेंडर देने का काम हो या आवास योजना के तहत गरीबों को घर उपलब्ध कराने का रहा हो, हमें विश्वास है कि लोग हमें वोट देंगे। चाहे वह आदिवासी हों या गैर आदिवासी, सभी हमारे साथ हैं।”

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एंटी कन्वर्जन बिल का आदिवासियों ने  किया विरोध: चाईबासा से कुछ किमी दूर मझगांव गांव के पास घरों में क्रास के निशान लगे हैं। इसके बारे में बीजेपी नेता ने कहा वे क्रिश्चियन के घर हैं, जिनका जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया गया है। तिवारी ने बताया, “यहां मिशनरी एक रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। वे निर्दोष आदिवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उनका ब्रेनवाश करते हैं। कभी-कभी वे उन आदिवासियों को धमकी भी देते हैं। पैसों का लाभ देकर, बीमारी में मदद के नाम पर, या फिर यह कहकर कि तुम्हारे बच्चे हमारे स्कूल में तब ही पढ़ेंगे जब तुम ईसाई धर्म अपना लोगे। ये सब रोकने के लिए राज्य सरकार ने एंटी कन्वर्जन बिल लाया है।” एंटी कन्वर्जन बिल का आदिवासियों ने यह कहकर विरोध किया कि यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

चुनाव के ठीक पहले नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की हत्या की : पहले चरण के चुनाव के तीन दिन पहले नक्सलियों ने लातेहार में सुरक्षा बलों के चार जवानों को मार डाला। दो दिन बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के दो नेताओं को पलामू में मार डाला गया। इस तरह के हमलों को देखते हुए सुरक्षाकर्मी हाईअलर्ट पर हैं। हालांकि बीजेपी नेता ने कहा कि ये दो घटनाएं काफी समय बाद हुई हैं। और राज्य सरकार ने झारखंड से नक्सलियों के आतंक को खत्म कर दिया है। बीजेपी नेता ने जेएमएम पर माओवादियों से मिले होने का आरोप लगाते हुए कहा, ” माओवाद के नाम पर अफीम की खेती करना, लोगों को ब्लैकमेल करना, यही काम था इन लोगों का। हमारी सरकार ने पत्थलगड़ी आंदोलन को कुचल दिया है। ये सब केवल नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।”