इंडिया गठबंधन की आज शनिवार को अहम बैठक होने जा रही है। इस बार की बैठक वर्चुअल अंदाज में रखी गई है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को छोड़ दिया जाए, तो सभी दल इसमें हिस्सा ले रहे हैं। शरद पवार से लेकर अरविंद केजरीवाल तक, सोरेन से लेकर उद्धव तक, सभी मीटिंग में मौजूद रहने वाले हैं। लेकिन ममता बनर्जी की दूरी ने कई सवाल उठा दिए हैं।

अब ममता बनर्जी की ये दूरी का एक कारण दूसरे कार्यक्रमों की व्यस्तता बताई जा रही है। तर्क दिया गया है कि इस मीटिंग की जानकारी ऐन वक्त पर दी गई, ऐसे में ममत इसे अटेंड नहीं कर सकतीं। अब ये जो कारण है, ये पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है, लेकिन इसके सियासी कारण अलग ही कहानी बयां करते हैं। इन्हीं सियासी कारणों को समझने के लिए पिछले साल दिसंबर में हुई इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक को फिर याद करना पड़ेगा।

उस बैठक में ममता बनर्जी ने सबसे बड़ा दांव चलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पीएम रेस में आगे कर दिया था। उनके साथ कुछ दूसरे दलों ने भी खड़गे के ही नाम का समर्थन कर दिया। उस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे। खबर निकलकर ये आई कि नीतीश किसी भी कीमत पर खड़गे के नाम को लेकर तैयार नहीं थे, मीटिंग में उन्होंने कुछ नहीं बोला, लेकिन संकेत साफ जा चुका था।

वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि ममता बनर्जी को नीतीश कुमार का नाम स्वीकार नहीं है। फिर चाहे बात उन्हें पीएम दावेदार बनाने की हो या इंडिया गठबंधन के संयोजक बनाने की। इसी कड़ी में अब जब इंडिया गठबंधन की अगली बैठक हो रही है और उसमें माना जा रहा है कि नीतीश को संयोजक बनाया जा सकता है, उस स्थिति में ममता की सियासत तो चारों खाने चित हो जाएगी। ये भी एक कारण माना जा रहा है कि आखिर क्यों टीएमसी प्रमुख इस बैठक में आने से बच रही हैं।

नीतीश कुमार की बात की जाए तो उन्होंने सामने से जरूर कई मौकों पर करा है कि वे पीएम रेस में नहीं हैं और उन्हें कोई पद भी नहीं चाहिए। लेकिन उन्हीं के पार्टी के तमाम नेता समय-समय पर उनकी दावेदारी ठोंक चुके हैं और यहां तक कहा जाता है कि नीतीश की वजह से ही ये इंडिया गठबंधन बना है। अब बिहार के सीएम को खुश रखने के लिए उन्हें आज की बैठक में संयोजक बनाया जा सकता है। बड़ी बात ये है कि ममता को अगर छोड़ दिया जाए तो कोई दूसरा दल उनके नाम का विरोध करता भी नहीं दिख रहा।

वैसे इंडिया गठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर भी चर्चा होने वाली है। इस समय कई दल अपने-अपने स्तर पर जरूर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन आम सहमति बनती नहीं दिख पा रही है। यहां भी फिर ममता बनर्जी एक बड़ा रोड़ा बनी हुई हैं। बंगाल में वे कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं, वहीं असम जैसे राज्य में अपनी पार्टी के लिए चार सीटें मांग रही हैं। इसी वजह से उनकी कांग्रेस के साथ तल्खी बनी हुई है। यूपी में भी बसपा को कांग्रेस द्वारा जो तवज्जो दी जा रही है, उसने सपा को नाराज कर रखा है।

आलम ये चल रहा है कि समाजवादी पार्टी द्वारा पहले कांग्रेस पर हमला करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किया जाता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी को धोखेबाज बताया जाता है, लेकिन बाद में उसी पोस्ट को डिलीट भी कर दिया जाता है। लेकिन स्थिति साफ दिखाई पड़ रही है, ज्यादा की चाहत ने इंडिया गठबंधन में चुनाव से पहले ही दरार लाने का काम कर दिया है। सभी पार्टियों की अपनी सियासी मजबूरी इस समय गठबंधन के अंदर ही दूरी पैदा करने का काम कर रही है।