लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान में कुछ दिन ही शेष हैं। इसे देखते हुए पार्टियों के चुनाव प्रचार में तेजी आ गई है। राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार के दौरान पर्यावरण का विशेष रूप से ध्यान रख रही हैं और ऐसे सामग्री के इस्तेमाल पर जोर दे रही हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हों। राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के इस रुख को देखते हुए बाजार में पर्यावरण अनुकूल चुनाव प्रचार सामग्री बड़ी मात्रा में उपलब्ध है।
चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा उपयोग प्लास्टिक से बने पार्टी के बैनर और झंडों का होता है। इस बार चुनाव प्रचार के लिए ऐसे बैनर, झंडे बाजार में उपलब्ध हैं जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इतना ही नहीं नेताओं की तस्वीर वाले थैले, पटके और टोपी भी ऐसी ही सामग्रियों से बनाई जा रही है। मैसर्स कृष्णा प्रिंटर्स के मालिक और अखिल भारतीय चुनाव सामग्री निर्माता एवं व्यापारी संघ के महासचिव गुलशन खुराना ने बताया कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों को देखते हुए इस बार पार्टियां और उम्मीदवार पर्यावरण अनुकूल प्रचार सामग्री की मांग कर रहे हैं।
मांग को देखते हुए इस तरह की सामग्री भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराई गई है। सदर में प्रचार सामग्री की दुकान चलाने वाले खुराना ने बताया कि प्रचार सामग्री इस तरह के कपड़े से बनी है जो कुछ दिनों बाद धूप में खुद ही नष्ट हो जाती है। पॉलीथीन से बनी प्रचार सामग्री से प्रदूषण बढ़ता था लेकिन इस सामग्री से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है।
गुलशन ने बताया कि उम्मीदवार की ओर से मांग होने पर हम चार से सात दिनों के अंदर सभी प्रचार सामग्री उपलब्ध करा देते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में गंदगी फैलाने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर एनजीटी ने डीयू और उम्मीदवारों को खूब खरी खोटी सुनाई थी। एनजीटी की ओर से डूसू चुनाव प्रचार को लेकर की गई कार्रवाई पार्टी को याद है और वे भी चुनाव प्रचार में पर्यावरण और सफाई पर ध्यान दे रही हैं।

