हरियाणा के गुरुग्राम से इस बार कुशेश्वर भगत चुनाव लड़ रहे हैं, ये कोई मशहूर चेहरा नहीं है, बड़े नेता भी नहीं हैं। ये तो एक पाव भाजी की रेड़ी लगाने वाले भैया है। गुरुग्राम के सेक्टर 15 में पिछले कई सालों से उनकी दुकान लग रही है, दूर-दूर से लोग पाव भाजी खाने आते हैं। लेकिन इस बार कुशेश्वर ने कुछ अलग सोचा है, वे चुनावी राजनीति में उतरना चाहते हैं, नेताओं के वादों से त्रस्त हो चुके हैं।
कौन हैं ये पाव भाजी वाले भैया?
अब बड़ी बात ये है कि कुशेश्वर भगत पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। इससे पहले दो बार उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अप्लाई किया है, ये अलग बात है कि जरूरी समर्थन हासिल नहीं करने की वजह से उनका नामांकन ही रद्द हो गया था। इसके अलावा कुशेश्वर दो बार विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई थी जब उन्हें सिर्फ 7900 वोट मिले थे।
बड़ी जीत का कर रहे दावा
अगर राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो पहली बार में वे सिर्फ 7 विधायकों का हस्ताक्षर करवा पाए थे, वहीं अगली बार में 36 विधायकों का समर्थन मिला था। लेकिन दोनों बार आंकड़ा जरूरत से कम रहा और नामांकन ही रद्द हो गया। अब इस बार 2024 के रण में वे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, उनकी तरफ से दावा किया जा रहा है कि वे 12 लाख वोटों से जीतकर चुनाव जीतेंगे।
एक मीडिया पोर्टल से बात करते हुए कुशेश्वर भगत ने कहा है कि गुरुग्राम में एक नहीं 900 समस्या हैं, पिछले 20 सालों में किसी ने भी उन समस्यों की ओर ध्यान नहीं दिया, वे दावा कर रहे हैं कि अब वे सारी समस्याओं का हल निकालेंगे। वैसे देश में निर्दलीय कई उम्मीदवार इसी तरह से चुनाव लड़ते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्याम रंगीला हैं जो वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि वे सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं जिससे पीएम मोदी निर्विरोध ना जीत जाएं। उनके अलावा भी कई दूसरे ऐसे प्रत्याशी अलग-अलग सीट से खड़े हैं।