ये सीटें राज्य के 19 जिलों में फैली हुई हैं और इस चरण में कुल 788 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी हुई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित इस राज्य में पहले चरण के मतदान का प्रचार अभियान मंगलवार को शाम पांच बजे समाप्त हो गया था।

गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि गुरुवार को 14,382 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे के बीच मतदान होगा। पहले चरण में जिन 89 सीटों पर मतदान होगा, उनमें से 48 पर भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस के खाते में 40 सीटें गई थीं और एक सीट पर निर्दलीय विजयी हुआ।

इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) के अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) सहित 36 अन्य दलों ने भी अपने प्रत्याशी पहले चरण की सीटों पर उतारे हैं। भाजपा और कांग्रेस ने सभी 89 सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारे हैं।

‘आप’ के मुख्यमंत्री प्रत्याशी इसुदान गढ़वी सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित देवभूमि द्वारका जिले के खम्भालिया विधानसभा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जहां पर गुरुवार को मतदान होगा। ‘आप’ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया सूरत के कतारगाम सीट से प्रत्याशी हैं। पहले चरण में प्रमुख प्रत्याशियों में जमानगर उत्तर से क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा जडेजा, सूरत की अलग-अलग सीटों से भाजपा विधायक हर्ष सांघवी और पुरनेश मोदी, भावनगर ग्रामीण से पांच बार के विधायक पुरुषोत्तम सोलंकी शामिल हैं। कांग्रेस के मौजूदा विधायकों जैसे ललित कागठरे, ललित वसोया, रुतविक मकवाना और मोहम्मद जावेद पीरजादा की किस्मत भी पहले चरण में ही ईवीएम में बंद हो जाएगी।

कांग्रेस के राज्य में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सौराष्ट्र-कच्छ की 54 सीटें अहम है। इस क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि 2012 के चुनाव में पार्टी को महज 12 सीटें मिली थी। वहीं, भाजपा को पिछले चुनाव में महज 23 सीटें मिली थी जबकि 2012 के चुनाव में उसने 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने दक्षिण गुजरात में भी बेहतर प्रदर्शन किया था और 2012 के छह सीटों के मुकाबले 2017 में 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, भाजपा को 25 सीटें मिली थीं। जबकि 2012 के चुनाव में सत्तारूढ़ दल ने 28 सीटें अपने नाम की थीं। दक्षिण गुजरात में सूरत की 12 सीटें हैं जो लंबे समय से भाजपा का ‘गढ़’ बना हुआ है।