Naguar Lok Sabha Seat: राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट का मुकाबला काफी चर्चा में है। यहां इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल के सामने बीजेपी की ज्योति मिर्धा हैं। इस सीट पर जाट मतदाताओं की तादाद काफी ज़्यादा है। नागौर में चाय की चौपालों से लेकर गली-मोहल्लों तक यह चर्चा है कि इन दोनों जाट चेहरों में से किसका पलड़ा भारी रहेगा।
नागौर की लड़ाई क्यों है दिलचस्प?
नागौर के लगभग 21 लाख मतदाताओं में से 6 लाख के आसपास जाट मतदाता हैं। अब चर्चा यह है कि जाट वोट हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा के बीच बंट जाने के बाद मुस्लिम और मेघवाल (अनुसूचित जाति) वोटर किस ओर जाएगा? यहां मुस्लिम समुदाय के लगभग 3 लाख वोट हैं और लगभग 5 लाख एससी वोट हैं।
गर गौर करें 2019 के लोकसभा चुनाव पर तब मामला एकदम उल्टा था। तब भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ते हुए हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को 1.81 लाख वोटों से हराया था।
नागौर के जायल कस्बे के एक बीजेपी कार्यकर्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा—‘इस बार उम्मीद है कि जाट युवा बेनीवाल का समर्थन करेंगे और 35 साल से ऊपर के लोग ज्योति मिर्धा का समर्थन करेंगे। आमतौर पर देखा जाता है कि चुनाव के दौरान युवा ज़्यादा तादाद में वोट करते हैं, इसलिए यहां पलड़ा तो हनुमान बेनीवाल का भारी लग रहा है। इसके अलावा मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं देते हैं और एससी मतदाता कांग्रेस के मतदाता रहे हैं। इन दोनों समुदायों (मुसलमानों और दलितों) को लुभाना अभी भी बीजेपी के लिए एक मुश्किल काम लग रहा है।’
हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि मेघवाल समुदाय ने अभी तक इस चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है।
कुछ आम नागरिकों का मानना है कि मुस्लिम वोट हनुमान बेनीवाल को इसलिए जाएगा क्योंकि वह अब कांग्रेस के सहयोगी हैं। कुछ गांवों में जहां बेनीवाल ने अपनी बैठकें कीं, कई मुस्लिम लोगों को कांग्रेस के झंडे ले जाते देखा गया। हालांकि भाजपा खेमे का मानना है कि पार्टी के पूर्व नेता यूनुस खान ज्योति मिर्धा के हिस्से में मुस्लिम वोट ला सकते हैं।
क्या युनूस खान करेंगे बीजेपी की मदद?
डीडवाना से निर्दलीय विधायक युनूस खान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं। वह पूर्व पीडब्ल्यूडी और परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि पार्टी ने दो बार उन्हें डीडवाना से टिकट देने से इंकार कर दिया था। जिससे उन्हें भी पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने नागौर लोकसभा सीट की विधानसभा क्षेत्र डीडवाना से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। मुसलमानों के अलावा वह राजपूत समेत अन्य समुदायों के बीच भी लोकप्रिय बताए जाते हैं।
एक बीजेपी नेता ने कहा–‘राजे के करीबी होने के कारण यूनुस खान को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया। इस शख्स को डीडवाना में विभिन्न जातियों और समुदायों के लोगों के बीच इतना समर्थन है कि वह बीजेपी को कम से कम 50,000 वोट दिला सकता है। हम उन्हें हमारा समर्थन करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
यूनुस खान ने अब तक इस चुनाव में अपने रुख का खुलासा नहीं किया है, जबकि भाजपा नेताओं ने कहा है कि वे उन्हें अपने साथ लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। नागौर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है।
Report by Parul Kulshrestha