गोवा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां पर राजनीति करनी है तो रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ा होना जरूरी हो गया है, क्योंकि यहां पर राजनीति सिर्फ पैसों के दम पर की जा सकती है। पिछले 10 सालों की अगर बात करें तो यह बात सच भी साबित हुई है। गोवा में कुछ नेता ऐसे हैं जिनकी संपत्ति पिछले सालों में बेतहाशा बढ़ी है और सभी रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं। गोवा में नेताओं की पत्नियां भी चुनावी मैदान में आ चुकी हैं और विधायक भी बन चुकी हैं।

बता दें कि पहले गोवा में एक नियम था कि कहां पर जमीन बिक्री हो सकती है और उस पर कंस्ट्रक्शन हो सकता और कहां पर नहीं। लेकिन 3 साल पहले ही गोवा सरकार ने Town and country planning act में संशोधन किया और उसमें धारा 16b जोड़ दिया। कानून में संशोधन के बाद लैंड कनवर्जन का रास्ता खुल गया और जमीनों के रेट 40 से 45 गुना तक बढ़ गए।

गोवा की 40 सदस्यीय विधान सभा में करीब 30 विधायक रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े हुए हैं। कुछ विधायक पहले रियल एस्टेट ब्रोकर थे लेकिन वह भी इसी धंधे से जुड़े हुए हैं। इसी कारण गोवा में नेताओं का और बिल्डर का एक पूरा गुट काम करता है। गोवा में खेती की जमीन बेची नहीं जा सकती लेकिन बिल्डर और नेता मिल करके इसे कानून के अनुसार कन्वर्ट करा लेते हैं।

गोवा में पिछले 5 सालों में कुछ नेताओं की संपत्ति में 50% से भी अधिक इजाफा हुआ है।

गोवा में निर्दलीय नेता विलफ्रेड दसा की संपत्ति 2017 में 8 करोड़ थी लेकिन 2022 में यह 21 करोड़ हो गई। यानी इनकी संपत्ति को लेकर 156% बढ़ी है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई की संपत्ति पिछले 5 सालों में 152% बढ़ी है। 2017 में इनकी संपत्ति 14 करोड़ 76 लाख थी जबकि 2022 में इनकी संपत्ति 37 करोड़ 16 लाख हो गई है।

बीजेपी के अतानासियो मोनसेराटे की संपत्ति 2017 में 21 करोड़ 62 लाख रुपए थी लेकिन 2022 में यह 48 करोड़ 49 लाख हो गई। यानी बीजेपी नेता की संपत्ति में 124% का उछाल देखा गया।

कांग्रेस के नेता माइकल लोबो कि 2017 में संपत्ति 54 करोड़ थी लेकिन 2022 में यह बढ़कर 92 करोड़ 91 लाख हो गई। यानी माइकल लोबो की कुल संपत्ति 70% बढ़ी है। बीजेपी नेता जेनिफर की संपत्ति में 57 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। 2017 में बीजेपी नेता की संपत्ति 30 करोड़ 81 लाख थी जबकि 2022 में यह बढ़कर 48 करोड़ 49 लाख हो गई।