आम आदमी पार्टी ने 45 वर्षीय अमित पालेकर को गोवा में अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है। पालेकर राजनीति में आने से पहले वकील थे। वह गोवा की सबसे बड़ी जाति समूह भंडारी समाज से आते हैं। उनकी उम्मीदवारी का ऐलान आम आदमी पार्टी ने पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार किया है, जिसमें पार्टी ने कहा था कि गोवा चुनाव में उनका सीएम उम्मीदवार भंडारी समाज से होगा।
19 जनवरी को पालेकर को AAP का सीएम उम्मीदवार घोषित करते हुए आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी पार्टी जाति की राजनीति नहीं करना चाहती। लेकिन वो उस गलती को सुधार रहे हैं जिसके कारण भंडारी समाज को काफी संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि गोवा की बड़ी पार्टियों ने अभी तक उस समाज के व्यक्ति को सीएम नहीं बनाया जो जनसंख्या के हिसाब से गोवा में सबसे अधिक है।
भंडारी समाज का व्यवसाय: भंडारी समाज का पारंपरिक व्यवसाय खेती, ताड़ी निकालना और बगीचों में काम करना है। भंडारी समाज को गोवा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में रखा गया है। यह समुदाय पूरे गोवा में फैला हुआ है। साथ ही यह समुदाय महाराष्ट्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के कुछ हिस्सों सहित महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में भी फैला हुआ है।
भंडारी समाज की गोवा में आबादी: गोमांतक भंडारी समाज के अध्यक्ष अशोक नाईक ने कहा कि भंडारी समाज की जनसंख्या जानने के लिए अभी तक कोई सटीक सर्वे नहीं हुआ है। हालांकि अक्टूबर 2021 में गोवा विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सोशल वेलफेयर मिनिस्टर मिलिंद नाईक ने बताया था कि 2014 में अन्य पिछड़ा वर्ग का सर्वे गोवा स्टेट कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लास द्वारा किया गया था। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार गोवा में ओबीसी की आबादी 3,58,517 है जो कि पूरी आबादी का 27 फ़ीसदी है।
इस सर्वे के हिसाब से भंडारी समाज की जनसंख्या 2,19,052 हैं। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार गोवा में ओबीसी समाज में 61.10% लोग भंडारी समाज से आते हैं। हालांकि गोमांतक भंडारी समाज के अध्यक्ष अशोक नाईक इस आंकड़े को चैलेंज करते हैं। अशोक नाईक ने कहा कि अभी तक भंडारी समाज की जनसंख्या जानने के लिए कोई सटीक सर्वे नहीं हुआ है। सरकार कहती है कि यह समुदाय दो लाख के करीब है जोकि गलत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भंडारी समाज गोवा में 5,29,000 है ,जो गोवा की पूरी आबादी का करीब 30% हिस्सा है।
अशोक नाईक कहते हैं कि भंडारी समाज सिर्फ ओबीसी समुदाय में ही अधिकांश नहीं है ,बल्कि गोवा में हिंदू आबादी में भी सबसे अधिक भंडारी समाज के लोग हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार गोवा की आबादी 14 लाख 59 हजार है, जिसमें 66.08% लोग हिंदू हैं। 25.10% क्रिश्चियन है, 3.66% मुस्लिम है। बचे हुए लोग अन्य धर्म के हैं।
गोवा के सभी राजनीतिक दलों ने हमेशा भंडारी समाज के लोगों को लुभाने की कोशिश की है। कुछ लोगों ने उनके लिए आरक्षण की भी मांग की। गोमांतक भंडारी समाज के मुखिया ने पहले कहा था कि भंडारी समाज उस पार्टी का समर्थन करेगा जो पार्टी समुदाय के उम्मीदवारों को अधिकतम टिकट देगी।
भंडारी समाज संघर्ष कर रहा: अशोक नाईक ने कहा कि ओबीसी समाज में शिक्षा आने के बाद भंडारी समुदाय आजादी के बाद आगे बढ़ा है और कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर भी पहुंचा है। हालांकि अभी भंडारी समाज के सिर्फ 5% लोग अमीर हैं बाकी 95% लोग गरीब है। वो अभी भी अपनी रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भंडारी समाज के लोग गोवा की असेंबली में मौजूद हैं। हालांकि अभी तक गोवा में सिर्फ एक मुख्यमंत्री भंडारी समाज से बने हैं और वह थे रवि नाइक, जो भंडारी समाज से आते थे। रवि नाइक पहले कांग्रेस के साथ थे और अब बीजेपी के साथ हैं। बता दें 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में चार विधायक भंडारी समाज से आते हैं।
60 सालों में पहली बार भंडारी समाज का मुख्यमंत्री चेहरा: अशोक नाईक ने कहा कि 60 सालों में पहली बार ऐसी कोई पार्टी आई है जिसने कहा कि हम भंडारी समाज का मुख्यमंत्री देंगे। वह जीते या हारे ये अलग कहानी है लेकिन उन्होंने हमारी नब्ज़ को पकड़ा है और उन्होंने समझा है कि हमारे समुदाय को उनका हक मिलना चाहिए। अशोक नाईक ने कहा कि उनके समाज के लोग अमित पालेकर के साथ रैली करेंगे। सैंटक्रूज विधानसभा में भंडारी समाज की जनसंख्या अधिक नहीं है, जहां से अमित पालेकर अपनी चुनावी शुरुआत करने जा रहे हैं।
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि यदि गोमांतक भंडारी समाज के लोग पालेकर के पीछे अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं तब भी बड़ी संख्या में यह समुदाय उनके साथ नहीं आएगा। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि 20 सालों से भंडारी समुदाय बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है।
जातीय राजनीति गोवा को रास नहीं आई: हालांकि वरिष्ठ पत्रकार और लेखक (Ajeeb Goa’s Gajab Politics) संदेश प्रभुदेसाई ने कहा कि इसके पहले 1972 में गोवा के मतदाताओं को जाति के आधार पर लुभाने की कोशिश की गई थी। लेकिन उस समय गोवा के लोगों को ये रास नहीं आया था। उस समय साक्षरता दर 30% थी। पूर्व मुख्यमंत्री भाऊसाहेब बंदोदकर को बगावत का सामना करना पड़ा था।
संदेश प्रभुदेसाई ने बताया कि उस समय दैनिक गोमांतक गोवा में काफी प्रभावशाली था और इकलौता मराठी अखबार था, जो हिंदू घरों में पहुंचता था। केबी नाईक जो भंडारी समाज के नेता थे, उन्होंने दैनिक गोमांतक के समर्थन से और जातीय राजनीति करते हुए राजनीतिक सफलता प्राप्त करनी चाही। उन्होंने कहा कि 1972 के दो चुनाव पहले भाऊसाहेब महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी 16 सीटें जीती थी लेकिन 1972 के चुनाव में 18 सीटें जीत गई। उसके बाद से ही गोवा में जातीय राजनीति कुछ कमाल नहीं कर पाई।