उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में घोसी लोकसभा सीट काफी मायने रखती है। इस सीट पर कभी कांग्रेस-लेफ्ट का कब्जा रहता था, यहां से छह बार कांग्रेस तो पांच बार लेफ्ट ने जीत दर्ज की है। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर कमल खिलाया था। फिर 2019 में बसपा को वहां जीत मिली थी, अब इस बार फिर मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है।

घोसी सीट से बीजेपी ने ओपी राजभर के बेटे अरविंद को टिकट दिया है। पहले से ही डील पक्की हो चुकी थी कि पूर्वांचल की ये सीट राजभर के खाते में जाएगी। अब इस सीट पर किसी जमाने में कांग्रेस का कब्जा रहता था। फिर 1977 में लेफ्ट ने भी जीत का स्वाद चखा। 2004 में समाजवादी पार्टी के खाते में घोसी सीट गई तो वहीं 2009 में बसपा की टिकट से दारा सिंह चौहान ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने 2014 में ये सीट अपने नाम की और हरिनारायण की जीत हुई।

अब मोदी लहर का असर 14 के चुनाव में तो दिखा, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने जबरदस्त वापसी करते हुए सभी को चौका दिया। घोसी सीट पर तब बसपा के ही प्रत्याशी अतुल राय ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। अब इस बार बीजेपी ने राजभर वोट को ध्यान में रखते हुए अरविंद राजभर पर दांव चला है। पार्टी को भरोसा है कि तमाम जातीय समीकरण साध इस सीट को बीजेपी निकाल सकती है।

घोसी सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर 20 लाख 55 हजार वोटर्स हैं, यहां भी 10 लाख पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या भी 9 लाख से ज्यादा चल रही है। दलित, राजपूत, मुस्लिम, भूमिहार, मौर्य, यादव और प्रजापति वोटरों की भी निर्णायक भूमिका देखने को मिल जाती है। घोंसी सीट पर सबसे ज्यादा जनसंख्या दलित समाज की है।