लोकसभा चुनाव का समर अब छठें चरण तक पहुंच चुका है। 25 मई को छठे चरण की वोटिंग होने वाली है, फिर एक जून को आखिरी चरण की और 4 जून को देश की जनता का जनादेश आ जाएगा। लेकिन इस राजनीति के बीच कुछ ऐसे तकनीकी शब्द हैं जो अब हर किसी के मन को परेशान कर रहे हैं? असल में इस बार हर चरण की वोटिंग के बाद एक विवाद उठ रहा है- मत प्रतिशत के पहले वाले आंकड़े और फाइनल आंकड़ों में काफी अंतर है। इस बहस में बार-बार Form 17C का जिक्र किया जा रहा है।

क्या होता है Form 17C?

अब यहां आपको सरल भाषा में इस Form 17C का मतलब बता देते हैं। असल में चुनावी भाषा में कानून है, उसका नाम है ‘चुनाव संचालन नियम 1961’। अब इस नियम के तहत दो फॉर्म आते हैं- पहले फॉर्म का नाम है- फॉर्म 17A और दूसरे फॉर्म का नाम है- 17C। अब फॉर्म 17A असल में मतदाताओं का एक रेजिस्टर होता है। असल में जब आप वोटिंग करने जाते हैं, तब बूथ पर एक पोलिंग अधिकारी होता है, वो आपकी सारी जानकारी लिखता है, उसे एक जगह पर दर्ज करता है।

अब जहां पर वो सारी जानकारी लिखी जाती है, उसे ही हम फॉर्म 17A कहते हैं। अब आपके मन में सवाल होगा कि वे ये फॉर्म 17C क्या होता है? असल में मतदाता की जो डिटेल होती है, उसे 17A में डाला जाता है, वही जो वोट डाले जा रहे हैं, उसका जितना भी लेखे-जोखा रहता है, वो 17C में भरा जाता है।

काम क्या होता है इस फॉर्म का?

अब फॉर्म 17C थोड़ा कन्फ्यूजिंग इसलिए लग सकता है क्योंकि इसके भी दो भाग होते हैं। इस फॉर्म का जो पहला भाग होता है, उसे तो वोटिंग वाले दिन ही भरना पड़ता है। उसमें बूथ पर इस्तेमाल होने वाली ईवीएम की जानकारी होती है औ उसका आईडी नंबर लिखा होता है। इसके अलावा मतदाताओं की कुल संख्या, प्रति वोटिंग मशीन में दर्ज कुल वोटों की जानकारी भी फॉर्म 17C के पहले भाग में डाली जाती है। इसका फॉर्म का जो दूसरा भाग होता है, उसमें बस फाइनल नतीजा लिखा जाता है।

अभी का विवाद क्या है?

अब चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49S कहता है कि हर पोलिंग अधिकारी को ये जानकारी देनी होती है कि ईवीएम में कितने वोट पड़े हैं। बड़ी बात ये है कि किसी भी पार्टी का पोलिंग एजेंट ये आंकड़ा तो पोलिंग अधिकारी से मांग ही सकता है। ऐसे में इसका रिकॉर्ड रखना अनिवार्य कहा गया है। लेकिन अब वर्तमान विवाद पर अगर आएं तो ADR ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, उसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग को वोटिंग के हर चरण के बाद मतदान केन्द्रवार फॉर्म 17C भाग-I में दर्ज आंकड़े और निर्वाचन क्षेत्रवार वोटिंग के आंकड़े जरूर जारी करने चाहिए, उसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड भी करना चाहिए।

ये अलग बात है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को कहा है कि अगर इस तरह से सारा डेटा वेबसाइट पर ही अपलोड होने से भ्रामक स्थिति पैदा हो सकती है, तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना भी बढ़ जाती है।